Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 46
________________ हैं । माला और बुहारी साथ-साथ । अगर हम उत्साह के साथ किसी कार्य को करते हैं तो वह कार्य पूर्णता देता है । क्या आपने कभी सोचा है कि एक क्लास में पचास छात्र पढ़ते हैं, दस तो रैन्क में आते है और चालीस ऐसे ही धक्का मार कर पास होते है ? पढ़ाने वाले क्लास टीचर ने कोई भेदभाव नहीं किया। माँ-बाप ने भी पढ़ाने में कोई कंजूसी नहीं की । मेहनत में भी कोई कमी नहीं रही। तो फिर क्या कारण हैं उनके पिछड़ने का ? अन्तर रहा तो मात्र इस बात का कि किस छात्र ने किस पाठ को किस उत्साह और लगन के साथ याद किया । | अपने भीतर उत्साह और लगन पैदा कीजिए, आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी। मैं बताऊँ आपको, आपके जैसा शरीर मेरा है, आपके जैसा ही मस्तिष्क और बुद्धि मेरी है। मैं किसी चीज को एक बार सरसरी निगाहों से देख लेता हूँ, जरूरत पड़ने पर दो बार या फिर अधिक से अधिक तीन बार देख लेता हूँ । मुझे वह चीज हमेशा के लिए याद रहती है। इसका कारण केवल लगन और तन्मयता है । उत्साह - भाव ही मुख्य है। है । जो व्यक्ति अन्तर्मन में उत्साह रखता है, उसने निश्चित रूप से अपनी कार्यशैली को व्यवस्थित कर लिया है 1 मैंने आपको व्यवस्थित जीवन जीने के लिए तीन सूत्र दिये - जीने की शैली को व्यवस्थित करें, समय को नियोजित करें, कार्यशैली को व्यवस्थित करें और चौथा एवं अन्तिम सूत्र यदि कोई दूँ तो वह है 'अपनी सोच को व्यवस्थित कीजिए।' जो सोच, जो विचार और जो चिन्तन आपके भीतर उठ रहा है, वह निश्चित रूप से आपको प्रभावित करता है। गाँधीजी ने अपने तीन बन्दरों के माध्यम से कभी कहा था, 'बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो।' आपके सामने बैठा बन्दर एक बात और जोड़ देना चाहता है 'बुरा मत सोचो।' व्यवस्थित करें स्वयं को Jain Education International For Personal & Private Use Only ४१ www.jainelibrary.org

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