Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 66
________________ आदमी ही नहीं रहा तो उसकी कमियों पर क्यों ध्यान देते हो? जब मरने के बाद किसी की कमियों को माफ कर देते हो तो तुम जीते-जी किसी की कमियों को माफ क्यों नहीं कर सकते? वह माफी मुर्दा है जो किसी के मरने के बाद प्रकट हो। वह माफी अमृत है जो किसी के जीते-जी अपना कार्य कर दिखाए। कृपया करुणाशील रहें और माफी को मूल्य दें। . दो बूंट पीने पड़ें तो पी लें। सहना पड़े तो सह लें। आलोचनाओं को सहने की जिसमें औकात है, वही ऐसा कुछ कर सकता है कि विरोधियों के मुख से भी वह प्रशंसनीय बन सके। ___ बहुत प्रिय संत हुए हैं, हाकुइन। संत हाकुइन गाँव के किनारे रहते थे। उसके ठीक बगल में ही एक और मकान था जिसमें कि एक सुंदर युवती रहती थी। वह युवती अविवाहित थी, पर गर्भवती हो गई। घरवालों ने परेशान किया, मारा-पीटा और पूछना चाहा, ‘बता, तेरे पेट में यह किसका पाप है?' युवती इतनी प्रताड़ित की गई कि आखिर उसे सहन नहीं हो पाया। उसने अपनी ही बगल में रहने वाले संत हाकुइन का नाम बताया। परिवार के लोग बड़े विस्मित हो उठे, आग-बबूला भी! वे अपनी कन्या को संत हाकुइन के पास लेकर गए। उन्होंने जाकर कहा, 'तो आपने ऐसा सब कुछ किया है?' ___ संत हाकुइन ने सारी बात सुनी। वे करुणाशील हो उठे और जवाब में केवल इतना ही कहा, 'ओह! तो ऐसी बात है, ठीक है।' परिवार के लोग चले गए यह सोचकर कि संत हाकुइन ने यह सारी बात स्वीकार कर ली है। कन्या के संतान का जन्म हुआ तो वह संतान संत हाकुइन की गोद में सौंप दी गई। संत हाकुइन की सारे गाँव में बड़ी अप्रतिष्ठा हुई, लेकिन उसने अप्रतिष्ठा की कोई परवाह नहीं की। वह जो छोटा शिशु था, अड़ौस-पड़ौस से दूध माँग कर या एक बालक के लिए वांछित चीजों को माँग-मुँगाकर संत हाकुइन बालक का पालन-पोषण करने स्वभाव सुधारें , सफलता पाएँ ६१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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