Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 108
________________ इसीलिए जीसस ने कहा था कि पैसे वाले स्वर्ग में नहीं जाते। ऊँट अगर सुई में से निकल जाए तो शायद स्वर्ग मिल जाए पर अमीर अगर सुई में से निकल जाए और स्वर्ग के रास्ते तक पहुँच जाए तब भी उसे स्वर्ग नहीं मिल सकता। उसे अकड़ आ जाती है न् । पैसा हो और फिर भी आदमी विनम्र रह जाए, यह बड़ी बात है । धन आने के बावजूद व्यक्ति के मन में घमण्ड पैदा न हो, यह खास बात है । गरीब आदमी बेचारा घमण्ड करे भी तो किस पर ? धनवान यदि अपने आपको सरल व विनम्र बनाकर रखता है तो वह निश्चय ही आदरणीय है । घड़ा जब तक पानी के ऊपर रहेगा तब तक नदी का एक छटांक पानी भी उसमें नहीं जाएगा । पाने के लिए झुकना पड़ता है । जीवन के कलश को भरने के लिए ऋजु होना पड़ता है । विनम्रता, विनयशीलता जब जीवन में आएगी, जब घड़ा नदी में उतरेगा तो नदी का पानी घड़े में अनायास आएगा वरना ऊपर-ऊपर तैरता तथा छलकता रहेगा । 'अधजल गगरी- छलकत जाए' । घड़ा झुके, अमीर आदमी झुके, ज्ञानी भी झुके । पढ़-लिख गये हो तो इसका मतलब यह थोड़े ही है कि तुम किसी और को अब कुछ नहीं समझोगे । ये नेता लोग चुनाव में पता नहीं, किस-किस की गरज करते हैं, पर जब चुनाव में जीत जाते हैं तो पाँच साल तक वापस उन्हें अपना मुँह भी नहीं दिखाते हैं 1 हालत यह हो गई है कि जिस आदमी को अपने से अलग करना हो, अपने से दूर करना हो तो उसे नेता बना दो। ज्ञान आ जाए, पद आ जाए इसके बावजूद आदमी औरों को मान दे, सम्मान दे, औरों के काम आने की कोशिश करता रहे वही महान् है । दिलों में जगह पद से, पैसे से या डिग्री पाने मात्र से नहीं बनती, दिलों में जगह तुम्हारी ओर से दी जाने वाली कुर्बानी से बनती है। स्वार्थ का त्याग ही धर्म का बुनियादी मंत्र है। तुम जेठानी हो तो इस कारण तुम पूजनीय नहीं हो, बल्कि तुम देवरानी के लिए कुर्बानी देने के लिए तैयार रहती हो, इस कारण ही आदरणीय बनोगी। बेहतर जीवन के लिए, योग अपनाएं Jain Education International For Personal & Private Use Only १०३ www.jainelibrary.org

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