Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 90
________________ जीवन की हर विपरीतता और हर विपरीत निमित्तों की बीच, हर आक्रोश, हर आवेश और उत्तेजना के क्षणों में धैर्य जितना उपयोगी बनता है, मैंने पाया है कि उतना और कोई तत्त्व नहीं बनता। क्षमा भी, करुणा भी उतनी काम नही आती जितना कि चित्त में धारण किया हुआ धीरज काम आता है। तुम अगर पति हो तो पत्नी को तभी निभा सकोगे जब तुम्हारे भीतर उसके गुस्से को झेलने का धैर्य रहा • होगा। अगर वह धैर्य नहीं होता तो तुम आज इस स्तर तक नहीं पहुँचते और तुम कभी भी तलाक के लिए कोर्ट में पहुँच जाते और एक दूसरे से कुट्टी कर बैठते। __शांति से सोचो, समग्रता से सोचो। हर बिन्दु पर समग्रता से विचार करो। शांति अगर तुम्हारी चाहत है, शांति अगर तुम्हारा निर्णय है तो उसे पाने का, उसे जीने का व्यावहारिक सरलतम मार्ग है सकारात्मकता, पॉजिटिवनेस । कृपया मुस्कुराइये और सौम्य मानसिकता के साथ इस बात को इस चीज को अपने जेहन में उतरने दीजिए। भूदान आयोग के चैयरमेन भाई श्रीपाल जी सिंघी को साधुवाद जरूर दूंगा जिन्होंने आयोग के तहत सकारात्मक सोच के संदेश को पूरे प्रदेश में, प्रशासन के हर दफ्तर तक पहुँचाने की पहल की है। अपने स्वार्थ के लिए सभी लोग राजनीति करते हैं किन्तु उन्होंने मानवता को स्वस्थ और सौम्य बनाने के लिए राजनीति का उपयोग किया है। और लोग भी उनसे प्रेरणा अवश्य लें। सकारात्मक सोचिए, सफलता पाइये। अपनी ओर से इतना ही ही निवेदन है। आपकी अन्तश्चेतना को प्रेम-पुलकित प्रणाम। सोच को बनाएँ सकारात्मक ८५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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