Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 94
________________ चली। आखिर जिन लोगों को उसका उपभोग करना था, कर लिया और उस लड़की को उन्होंने छोड़ दिया । लड़की अकेली पड़ चुकी थी । उसने सोचा कि अब वह करे तो क्या करे? उसे और कुछ करने का न सूझा तो उसने आत्महत्या करने का मानस बना लिया। निराश, असहाय बना हुआ व्यक्ति मरने के अलावा भला सोच भी क्या सकता है? लड़की ने सोचा कि मैं मरूँ उससे पहले कम-से-कम अपनी विधवा बूढ़ी माँ को तो देख आऊँ । यह सोचकर वह वापस अपने घर की तरफ लौटने लगी। उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी । उसने अमावस की अंधेरी रात का चयन किया। ‘उस अंधेरी ओट में मैं जाऊँगी और माँ की कुटिया के पास पहुँचकर खिड़की में से झाँककर माँ को देख लूँगी और वहाँ से वापस लौट आऊँगी ।' ऐसा उसने सोचा 1 अंधेरी गलियों में चलते-चलते वह अपने घर के पास पहुँची तो वह यह देखकर दंग रह गई कि उसके मकान का दरवाजा खुला पड़ा था। वह किसी अनहोनी घटना की आशंका से घबरा उठी । उसे लगा कि आधी रात के वक्त मेरा मकान क्यों खुला है? कहीं अनहोनी तो नहीं हो गई है। वह घबरा गई और अचानक उसके मुँह से चीख निकल पड़ी “माँ”। और तभी भीतर से आवाज आई, 'हाँ बिटिया ! तो आखिर तू लौट आई। तुम्हारा स्वागत है।' यह कहते हुए माँ भी बाहर निकल आई। लड़की अपने आपको रोक नहीं सकी और दौड़ कर माँ के पास पहुँची । वह माँ से लिपटकर रोने लगी। माँ की आँखें छलछला आई । माँ के आँचल ने उसे अपनी गोद में, अपने आगोश में ले लिया । बिटिया ने कहा, ‘माँ! मैं तुम्हारा पवित्र प्रेम पाने के योग्य नहीं हूँ।' माँ ने कहा, 'बेटी, माँ का आँचल तो सदा समान रूप से खुला होता है। यदि तुम घर से भाग भी गई थी तब भी माँ का आँचल तो अपनी संतान के लिए शरणस्थल ही हुआ करता है।' बेहतर जीवन के लिए, योग अपनाएं Jain Education International For Personal & Private Use Only ८९ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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