Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 52
________________ स्वभाव सधार, सफलता पाए मेरे प्रिय आत्मन्! ___ सबका अपना-अपना स्वभाव है। बिच्छू का अपना स्वभाव है और संत का अपना स्वभाव। बिच्छू अपना स्वभाव नहीं छोड़ता और करुणा-मूर्ति अपना स्वभाव नहीं त्यागता। तामसी स्वभाव वाला व्यक्ति अपने स्वभाव के विपरीत कुछ भी करेगा तो वह हमारा ध्यान आकर्षित कर लेगा। झूठ बोलने का आदी व्यक्ति अगर कभी सच भी बोलेगा तो झूठ समझा जाएगा। वहीं सच बोलने वाला व्यक्ति झूठ बोलेगा तो वह उसी समय पकड़ लिया जाएगा। स्वभाव यानि अन्तर्मन का गहरा संस्कार। डूबते हुए बिच्छू को बचाने का यत्न करने पर वह बचाने वाले को ही काटता है। यदि कोई पथिक बचाने वाले संत से कहता है, 'तुम छोड़ क्यों नहीं देते इस दुष्ट को? इसका स्वभाव ही है डंक मारना'। संत ने कहा, 'बिच्छू का स्वभाव है आत्मरक्षा के लिए डंक मारना और मेरा धर्म है डूबते हुए स्वभाव सुधारें , सफलता पाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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