Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 31
________________ हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने जीवन को, जीवन-शैली को व्यवस्था दे। यदि वह अपने जीवन में कामयाबी और सफलता चाहता है, तो हर व्यक्ति स्वयं को अपनी व्यवस्थाओं के प्रति प्रतिबद्ध बनाए। ___एक कम्पनी का बॉस अपनी चेयर पर बैठा इन्टरव्यू ले रहा था। प्रार्थी क्रमशः नम्बर से आकर इन्टरव्यू देकर चले जा रहे थे। अन्त में एक प्रार्थी बचा था। वह बॉस के कमरे में प्रविष्ट होता, उसके पहले ही उसकी नज़र कमरे के रास्ते में पड़े पेपर-वेट पर पड़ी। उसने सबसे पहले वह पेपर-वेट उठाया और टेबिल पर रखा। फिर वह कमरे में प्रविष्ट हुआ। सामने बैठा बॉस यह सब देख रहा था। बॉस ने उस व्यक्ति का इन्टरव्यू लेना प्रारम्भ किया। उससे उसका परिचय पूछा, उससे उसकी शिक्षा के बारे में जानकारी चाही। उस व्यक्ति ने कहा, 'सर, मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूँ, मात्र मैंने इन्टरमीडियेट कर रखी है। पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे सेवा का अवसर दिया गया तो मैं आपकी कम्पनी के लिए उपयोगी साबित होऊँगा।' बॉस ने उस व्यक्ति को अच्छी तरह से देखा और उसे नियुक्ति-पत्र थमा दिया। पचास लोग इन्टरव्यू देने के लिए आए थे, पर उनमें से उस एक का ही चयन हुआ। जब बाकी प्रार्थियों को इस बात का पता लगा तो उन्होंने इस बात का विरोध किया कि एम.ए., एम.कॉम., एम.बी.ए. और ऐसे ही उच्च शिक्षाधारी व्यक्तियों के होते हुए भी कम्पनी मालिक ने एक इन्टरमीडियेट व्यक्ति को नौकरी देकर पक्षपात किया है। बॉस ने जब यह बात सुनी तो उसने कहा, 'मेरे लिए पढ़ाई का ही मात्र मूल्य नहीं है। मेरे लिए महत्त्व इस बात का है कि व्यक्ति जीवन में व्यस्थित कितना है? तुम लोग भी इन्टरव्यू देने कमरे के भीतर आए, पर रास्ते में पड़े पेपर-वेट पर किसी का ध्यान नहीं गया। उसे उठाना किसी ने मुनासिब नहीं समझा। तुम एम.ए. अवश्य हो गए, पर एम, ए, एन (मैन) नहीं बन पाए। २६ कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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