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व्यर्थ गँवा देना, जीवन को व्यर्थ गँवाने जैसा है और समय के एक-एक क्षण का उपयोग जीवन के प्रत्येक क्षण का उपयोग है। अगर आप दुआ चाहते हैं, कि आपको सौ वर्ष की उम्र नसीब हो, तो मैं आपसे पूलूंगा, 'आप सौ वर्ष की उम्र क्यों चाहते हैं?' सौ साल की उम्र लेकर भी क्या करोगे यदि तुम्हें अपने जीवन और समय का सही उपयोग करना नहीं आया।
साठ साल की जिंदगी भी बहुत हुआ करती है। एक साल में तीन सौ पैंसठ दिन हुआ करते हैं। एक दिन में चौबीस घंटे, एक घंटे में साठ मिनट और एक मिनट में साठ सैकण्ड। जिंदगी बहुत बड़ी हुआ करती है। जो अपने जीवन के एक-एक पल का पूरा-पूरा उपयोग करना जानता है, उसे पता है कि यदि जिंदगी का एक दिन भी मिले तो भी वह बहुत विराट् हुआ करता है। __गधे की तरह का आलसी जीवन सौ साल का भी व्यर्थ हुआ करता है और कछुए का दस दिन का जीवन भी सार्थक हुआ करता है। तत्पर बनिये। यहाँ तो बस स्टैण्ड पर जाओ तो बस लेट, रेल्वे स्टेशन पर जाओ तो ट्रेन लेट, हवाई अड्डे पर जाओ तो हवाई जहाज लेट, शादी में जाओ तो शादी लेट, प्रवचन, सत्संग या किसी धार्मिक महा-पूजन में जाओ तो वह भी लेट। लोग मानकर चलते हैं कि जो समय दिया है, उससे एक-आधा घण्टा तो लेट होगा ही। दो बजे का समय दिया है तो लोग तीन बजे का मानकर ही चलते हैं।
जरा स्मरण करो उन लोगों का जो समय के पाबंद होने के नाते दो बजे समय दिए जाने पर दो बजे ही पहुंचते हैं। वे लोग बद्दुआ देते हैं उन आयोजकों को, उन लेटलतीफ़ों को जिनके कारण उनका समय बर्बाद होता है। कार्ड में समय छापते हैं, दो बजे का और चार बजे तक कार्यक्रम का पता ही नहीं रहता।।
एक बार पति-पत्नी में झगड़ा हो गया। पति गुस्से में आकर बोला,
व्यवस्थित करें स्वयं को
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