Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 35
________________ 'मुझे गुस्सा मत दिलाओ, वरना मैं कुछ कर लूँगा।' पत्नी भी गुस्से में थी, बोली, 'मुझे परवाह नहीं, जाओ जो करना है वह करो।' पति ने कहा, 'मैं सचमुच जा रहा हूँ और ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर लूँगा।' पत्नी ने तैश में जवाब दिया, 'मैं कब रोकती हूँ?' __ पति ने कहा, 'मैं जाने के लिए कपड़े बदलता हूँ, तब तक तू चार पराठे बना दे।' पत्नी बोली, 'मरने जा रहे हो, फिर भी पराठे बनाने की कह रहे हो।' पति बोला, 'वह तो ठीक है, पर यदि ट्रेन लेट हो गई तो? मैं मरने जा रहा हूँ, भूखों मरने के लिए नहीं।' ___ जीवन के साथ-साथ समय की पाबंदी, जीवन को व्यवस्थित करने के लिए सबसे पहला मापदण्ड है। समय पर उठो, समय पर सोओ, समय पर खाओ, समय पर पढ़ाई करो, समय पर हर कार्य करो। जो लोग परीक्षा के दिन रात-रात काली करके पढ़ते हैं और सुबह परीक्षा देने जाते हैं, मैं उनसे पूछना चाहूँगा कि तुमने साल भर क्या किया? साल भर क्या तुमने गड्डे खोदे? पढ़ाई तो हमने भी की है, परीक्षा के दिनों, रात को आराम से सोते और सुबह बड़े प्यार से परीक्षा देने जाते। पढ़ाई तो साल भर की जाती है, परीक्षा के दिन तो उस पढ़ाई की कसौटी होती है जो आपने साल भर पढ़ा है। ___ मैं मानता हूँ कि समय अनमोल है। समय यानी जीवन और जीवन यानी समय। समय का उपयोग जीवन का उपयोग है; जीवन का उपयोग समय का उपयोग है। जीवन समय की निर्मिति है। समय जीवन का विस्तार है। समय को व्यस्थित करना, अपने टाइमिंग को व्यवस्थित-सुनियोजित करना जीवन-शैली को ही व्यवस्थित करना होता है। इसे आप यों समझिए। जीवन में एक वर्ष का क्या मूल्य होता है, यह उस विद्यार्थी से पूछिए जो इसी साल फेल हुआ है। एक माह का मूल्य क्या है, यह उस महिला से पूछिए जिसके नौवें माह की बजाय ३० कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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