Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 25
________________ पानी बिखर चुका है तो पौंछा लगाकर फिर आप जाएँ ताकि आपके बाद आने वाला जो भी व्यक्ति है, वह आपको साधुवाद दे कि इसमें पहले कोई सही आदमी आकर ठहरा था । इतनी साफ-सफाई और अनुशासन-व्यवस्था रहनी चाहिए । मैं तो यह कहूँगा कि अगर साफ-सफाई भी करो तो ऐसी करो जैसे कोई शेक्सपीयर कविता लिखता है। शेक्सपीयर कितनी बारीकी से, मनोयोगपूर्वक कविता लिखता है । तुम झाडू भी उतने ही मनोयोगपूर्वक लगाओ। तुम इस तरीके से पौंछा लगाओ जैसे कोई बीथोवन गिटार बजा रहा हो और जिसकी एक आवाज सुनकर भी सड़क पर चलने वाले लोग रुक जाया करते हैं और अपने कान लगा लेते हैं । तुम अपनी झाडू और सफाई पर भी इतना ध्यान दो। ऐसा करने से आप अपने आप स्वस्थ और निरोगी रहेंगे। बेहतर होगा, जब आप घर से निकलें तो इस बात का ध्यान रखें कि आप सबके साथ शालीनता के साथ पेश आएँ । इतनी शालीनता के साथ कि जिससे भी आप मिलें, वह आप पर गौरव कर सके । और तो और, आप अपने बच्चे के साथ भी इतनी शालीनता से पेश आएँ कि आपका बच्चा भी आपके प्रति कभी गलत व्यवहार कर ही न पाए । कौन आदमी किस कुल का है, यह उसकी शालीनता, उसके बर्ताव और व्यवहार के द्वारा ही पहचाना जाता है । तुम अगर बात-बात में गाली-गलौच करते हो, गुस्सा, चिड़चिड़ापन करते हो, खीझते हो, हो-हल्ला करते हो तो ठीक है । आप अपने मन में भले ही खुश हो जाएं कि मैं ऊँचा, मैं बड़ा, मैं अमुक पद का हूँ पर औरों की नजरों में तो आपका मूल्य कौड़ी का है । मान लेने की चीज नहीं हुआ करती है बल्कि मान देने की चीज हुआ करती है। मान हमेशा औरों को दो । जितना तुम औरों को मान दोगे, हमारा मान उतना ही बढ़ेगा और केवल खुद ही मान लेना कैसे जिएँ मधुर जीवन २० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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