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जिनवाणी-विशेषाङ्क - जैन दर्शन में अहिंसा के सिद्धान्त के कारण शाकाहार का विशेष महत्त्व है और अहिंसा पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रमुख आवश्यकता है। किन्तु कृषि एक ऐसा उद्यम है कि उसमें कितनी भी सावधानी रखी जावे हिंसा अनिवार्य रूप से होती है। आधुनिक कृषि में रासायनिक खाद एवं विषाक्त कीटनाशकों के प्रयोग से तो हिंसा में कई गुना वृद्धि हुई है। कृषि और उसके लिए आवश्यक सिंचाई, रासायनिक खाद, कीटनाशकों से संबंधित छोटे-बड़े उद्योग पर्यावरण-प्रदूषण के प्रमुख कारण
अनेकान्त
जैन दर्शन में अनेकान्त सिद्धान्त उसकी अपनी एक विशेषता है। यह कट्टरवाद (Fundamentalism) व एकान्त के विरोध तथा दूसरों के विचारों के प्रति आदर एवं साम्यभाव का द्योतक है। इसे एक उदाहरण से सहज समझा जा सकता है। एक ही व्यक्ति माता के लिए पुत्र, पत्नी के लिए पति, बहिन के लिए भाई और पुत्री के लिए पिता है और सभी के दृष्टिकोण अपने-अपने सम्बन्धों से ठीक है, किन्तु यदि माता कहे कि वह केवल उसका पुत्र है और पत्नी कहे कि वह मात्र उसका पति है, अन्य का उस पर कोई अधिकार नहीं, तो यह गलत है। एकान्त अर्थात् एक ही दृष्टिकोण यानी जो मैं कहता हूं वही ठीक है और नहीं, यह अनेक विवादों, छोटे-बडे युद्धों का एक प्रमुख कारण है। जैसा ऊपर उल्लेख किया गया है कि पर्यावरण-संरक्षण के लिए विश्व शांति आवश्यक है, अतः जैन-दर्शन के अनेकान्त सिद्धान्त का पर्यावरण-संरक्षण के लिए विशेष महत्त्व है। उपसंहार
पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या को सम्पूर्ण विश्व गंभीरता से ले रहा है। इसी सन्दर्भ में वर्ष १९९२ में रियोडि जेनेरो (बाजील) में पृथ्वी-शिखर सम्मेलन (Earth-Summit) हुआ था जिसमें इस समस्या के समाधान के लिए सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई तथा भावी नीति के संबंध में महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गये। इस सम्मेलन में तीन प्रमुख निष्कर्ष निकले, प्रथम जैव वैविध्य (Bio-diversity) की सुरक्षा जो जैन दर्शन में अहिंसा सिद्धान्त से सम्भव है। दूसरा प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा है जो जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त अपरिग्रह से सहज संभव है, तीसरा 'विश्व शान्ति' जिसमें अहिंसा के साथ जैन-दर्शन के विशिष्ट सिद्धान्त अनेकान्त का महत्त्वपूर्ण योग हो सकता है। सारांश में पर्यावरण-संरक्षण
और शान्ति, जिनसे जुड़ा है मानव का स्वयं का अस्तित्व, जो जैन दर्शन के तीन प्रमुख सिद्धान्तों ‘अहिंसा', 'अपरिग्रह' एवं 'अनेकान्त' से ही सम्भव है। यही सम्यक् और शाश्वत है।
७-बी, तलवंडी,
कोटा-३२४००५ (राजस्थान) • जीवन में आरम्भ और परिग्रह को सीमित करें, तो आत्मिक आलोक से जीवन आलोकित हो उठेगा।
-आचार्य हस्ती
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