Book Title: Jinsahastranamstotram Author(s): Jinsenacharya, Pramila Jain Publisher: Digambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan View full book textPage 6
________________ *७* आदिपुराण की पीठिका में श्री जिनसेन स्वामी ने श्री वीरसेन स्वामी की स्तुति के बाद ही श्री जयसेन स्वामी की स्तुति की है और उनसे प्रार्थना की है कि जो तपोलक्ष्मी की जन्मभूमि हैं, समता और शान्ति के भंडार हैं तथा विद्वत् समूह के अग्रणी हैं, वे जयसेन गुरु हमारी रक्षा करें। इससे यह सिद्ध होता है कि श्री जयसेन श्री वीरसेन स्वामी के गुरुभाई होंगे इसलिए जिनसेन स्वामी ने उनका गुरुरूप से स्मरण किया है। इस प्रकार श्री जिनसेन की गुरु परम्परा जानी जा सकती है। समयविचार - दिगम्बर मुनियों का पक्षियों की तरह अनियतवास बतलाया है। प्रावड्योग के सिवाय उन्हें किसी बड़े नगर में ५ दिन-रात और छोटे ग्राम में १ दिन-रात से अधिक ठहरने की आगम-आज्ञा नहीं है। इसलिए किसी भी दिगम्बर मुनि के मुनिकालीन निवास का उल्लेख प्रायः नहीं मिलता है। परन्तु वे कहाँ उत्पन्न हुए ? एवं कहाँ उनका गृहस्थ जीवन बीता ? आदि प्रश्न उपस्थित होते हैं पर इनका भी सही उत्तर नहीं मिल पाता। निश्चित रूप से तो यह नहीं कहा जा सकता कि जिनसेन और गुणभद्र स्वामी अमुक देश के अमुक नगर में उत्पन्न हुए और अमुक स्थान पर अधिकतर रहे क्योंकि इसका उल्लेख उनकी किसी भी प्रशस्ति में नहीं मिलता। परन्तु इनसे सम्बन्ध रखने वाले तथा स्वयं इनके ग्रन्थों में बंकापुर, वाटग्राम और चित्रकूट नामों का उल्लेख आता है आगत्य चित्रकूटात्ततः स भगवान् गुरोरनुज्ञानात् । वादग्रामे घाबानतेन्द्रकृत जिनगृहे स्थित्वा ।।१७९॥ - श्रुतावतार इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि ये कर्णाटक प्रान्त के रहने वाले होंगे। जिनसेन स्वामी ने अपने प्रारम्भिक जीवन में पायाभ्युदय तथा वर्धमानपुराण लिखकर विद्वत्समाज में भारी प्रतिष्ठा प्राप्त की थी। वर्धमानपुराण तो उपलब्ध नहीं पर पार्वाभ्युदय प्रकाशित हो चुकने के कारण पाठकों की दृष्टि में आ चुका है। गुरु वीरसेन स्वामी के द्वारा प्रारब्ध सिद्धान्तग्रन्थों की टोका का कार्य उनके स्वर्गारोहण के कारण अपूर्ण रह गया। योग्यता रखने वाला गुरुभक्त शिष्य गुरु-प्रारब्ध कार्य की पूर्ति में जुट गया। उसने इस कार्य को पूरा किया। इस कार्य में आपका बहुत समय निकल गया । सिद्धान्तग्रन्थों की टीका पूर्ण होने के बाद जब आपको विश्राम मिलाPage Navigation
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