Book Title: Jain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Author(s): Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 14
________________ प्रकाशकीय प्राक्तनविद्यामहार्णव, प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' द्वारा संस्थापित एवं प्रवर्तित वीर सेवा मन्दिर-टूस्टसे मार्च १९६३ में उनके निबन्धोंका प्रथम संग्रह-युगवीर-निबन्धावली प्रथम भाग, दिसम्बर १९६३ में उन्हींके द्वारा सम्पादित-अनूदित तत्त्वानुशासन, सितम्बर १९६४ में पण्डित हीरालालजी शास्त्री द्वारा अनुवादित तथा मेरे द्वारा सम्पादित एवं लिखी प्रस्तावना सहित समाधिमरणोत्साहदीपक, जून १९६७ में मुख्तारसाहबद्वारा अनूदित-सम्पादित और मेरी प्रस्तावना युक्त देवागम (आप्तमीमांसा) और दिसम्बर १६६७ में उनके हो निबन्धोंका द्वितीय संग्रह-युगवीर निबन्धावली द्वितीय भाग ये पांच महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। आज उसी टूस्टसे 'जैन तर्कशास्त्रमें अनुमान-विचार : ऐतिहासिक एवं समीक्षात्मक अध्ययन' नामकी कृति, जो मेरा शोध-प्रबन्ध ( thesis ) है, 'युगवीरसमन्तभद्र-ग्रन्थमालाके' अन्तर्गत उसके प्रथम ग्रन्थाङ्कके रूप में प्रकट हो रही है। खेद है कि इसे ट्रस्टसे प्रकाशित करनेकी जिनकी प्रेरणा, योजना और स्वीकृति रही उन ट्रस्ट-संस्थापक श्रद्धेय आ० जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीरका' गत २२ दिसम्बर १९६८ को निधन हो गया। वे होते तो उन्हें इसके प्रकाशनसे बड़ी प्रसनता होती। प्रस्तुत सन्दर्भ में इतना ही प्रकट कर देना पर्याप्त होगा कि इसके प्रकाशमें आनेपर जैन अनुमानके विषयमें ही नहीं, अन्य भारतीय दर्शनोंके अनुमान-सम्बन्ध में भी अध्येताओंको कितनी ही महत्त्वपूर्ण एवं नयी जानकारी प्राप्त होगी। अत एव विश्वास है जिज्ञासु विद्वानों और अनुसन्धित्सु छात्रों द्वारा यह अवश्य समादृत होगी तथा राष्ट्रभाषा हिन्दीके दार्शनिक साहित्य-भण्डारको अभिवृद्धि में योगदान करेगी। १९ अप्रैल १९६९ दरबारीलाल जैन कोठिया अक्षयतृतीया, वि० सं० २०२६ मंत्री, वीर सेवा मन्दिर-ट्रस्ट वाराणसी

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