Book Title: Jain Stotra Sandohe Part 01
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

View full book text
Previous | Next

Page 586
________________ रिसहाइ जिणवरिंदे ८ धर्मघोषसूरिः Jain Education International रोरारेरां रीरीर० रुचिराजीरुचिराजी० रैवताचलशृङ्गारं. रोगशोकादिभिदोषैः . निकाचिततीर्थकृनामकर्मणां जिनानां भवत्रयीस्तवनम् - अरजिनस्तोत्रम् (एकाक्षरचित्र) वीरस्तुतिः (यमकमया ) नेमिजिनस्तवनम् शान्त्युद्घोषणास्तोत्रम् ४ निर्नामकम् ४ रविसागरः ६ सोमसुन्दरसूरिः १० निर्नामकम् wwmanawwwwwww १०३६ For Personal & Private Use Only लक्ष्मीनिदानं गुरुकर्मः लक्ष्मीर्महस्तुत्य० लसच्चारुकल्याण लावण्यगेहं. लावण्यपुण्यवपुषि (वी. ६) लोकान्तिकनाकिवरा. (अ. ६) लोकालोकविलोक. लोके पदैरप्रतिमैः लोचनानन्दविस्तारि (शी. चै.. ३) अकाराद्यनुक्रमः। २२ षष्ठः प्रकाशः पार्श्वलघुस्तवः (सटीकः) ७ क्षमाकल्याणः पार्श्वजिनाष्टकम्(अवचूरिः-मुनिशेखरस्य)९ पद्मप्रभदेवः स्तम्भनपार्श्वस्तवनम् ७ वत्सराजः सूर्यपुरीयस्तम्भनापार्वाष्टकम् ९ कल्याणसागरसूरिः १२ हेमचन्द्राचार्यः साधारणजिनस्तवः १० सोमसुन्दरसूरिः कल्पाकमण्डनयुगादिदेवस्तवः १३ जयचन्द्रगणिः सिद्धचक्रसप्तमपदस्तुतिः . ४ निर्नामका सम्भवजिनचैत्यवन्दनम् ५ शीलरत्नसूरिः व ७० सर्वजिनदुःषमसङ्घस्तोत्रम् १४ निर्नामकम् वंदिय नंदिय० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662