Book Title: Jain Stotra Sandohe Part 01
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 585
________________ Jain Education International यस्यां सुराधिपतयो० यः स्वामी कारुण्यात्० या दुर्लभा भवभूता. युगादिदेवाय युगादि० युगादिपुरुषेन्द्राय० येषामीश ! युगादीश! यो देवमा० यो मुक्तिलक्ष्मी० यो रैवताख्यगिरि० (जि. स्तु. २२) अष्टमीस्तुतिः शान्तिनाथस्तुतिः (टीका-भावप्रभस्य) ४ ललितप्रभः सम्भवजिनस्तुतिः ४ निर्नामका युगादिदेवद्वात्रिंशिका ३३ रामचन्द्रसूरिः ऋषभजिनस्तुतिः ४ निर्नामका आदिजिनस्तवः ५ निर्नामकः फलवर्द्धिपार्श्वजिनस्तवनम् ११ पार्श्वचन्द्रसूरिः पार्श्वजिनस्तवनम् ८ मलकचन्द्रः नेमिजिनस्तुतिः ४ मेरुविजयः For Personal & Private Use Only जैनस्तोत्रसन्दोहे। रत्नत्रयीनिदानाय (सा. षो. १४) रत्नत्रयोपदेष्टारं (ऋ. चै.) स्त्नं सुपार्श्वजिन० रचितकरपुट. रमाकरो यो जगतो राजते श्रीमती देवता राजन्त्या नवपद्म (शो. स्तु. १६) राज्यवृिद्धि साधारणजिनस्तवः साधारणजिनचैत्यवन्दनम् सुपार्श्वजिनस्तुतिः चतुर्विंशतिजिनस्तवनम् स्तम्भनपार्श्वस्तवः सरस्वतीस्तवनम् शान्तिजिनस्तुतिः वीरभक्तामरस्तोत्रम् (पादपूर्तिः) १६ रामचन्द्रसूरिः ११ ऋषिवर्द्धनः ४ कल्याणसागरसूरिः . निर्नामकम् ६ निर्नामकम् www.jainelibrary.org ४ शोभनमुनिः ३।२८।३१।३२।२३ ४४ धर्मवर्द्धनगणिः (स्वोपज्ञा) ४/३४

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