Book Title: Jain Sanskrit Mahakavya Author(s): Satyavrat Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 6
________________ आशीर्वचन प्रोफेसर सत्यव्रत की पुस्तक मेरे सामने है। इसमें जैन महाकाव्यों का अनुशीलन किया गया है । अनुशीलन में अध्ययन परिलक्षित होता है। आजकल महाप्रबन्ध की परम्परा शिखर की ओर जा रही है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रोफेसर सत्यव्रत ने अवश्य ही आरोहण का प्रयत्न किया है । गम्भीर अध्ययन से जो निकलता है, उसमें ऊंचाई को छूने की अर्हता होती है। ___ वैदिक, बौद्ध और जैन-तीनों परम्पराओं में महाकवि हुये हैं । उन्होंने बड़ेबड़े काव्य लिखे हैं । महाकवि कालिदास, माघ, भारवि जैसे कवि बहुत प्रसिद्ध हैं । अश्वघोष भी विश्रुत हैं । जैन कवि बहुत अज्ञात रहे हैं। इसमें जैन विद्वानों की उदासीनता एक कारण है। इसका दूसरा कारण है-उनके काव्य समीक्षा से वंचित रहे हैं । कवियों और समीक्षकों को धारणा रही-जैन कवियों के काव्यों में शृंगार और वीर रस नहीं होता । उनके काव्यों में मुख्य चित्रण शान्त रस का होता है। इसलिये उनके काव्य अन्य कवियों जितने आकर्षक और हृदयग्राही नहीं होते । प्रोफेसर सत्यव्रत ने जैन काव्यों का अनुशीलन प्रस्तुत कर उक्त धारणा को विखंडित किया है। कवि आखिर कवि होता है। विराग अपनी साधना का प्रश्न है। रागात्मक चित्रण सामाजिक या लौकिक परिप्रेक्ष्य है । हिमालयी गुफा में जीने वाला भी लौकिक वृत्त की उपेक्षा नहीं करता, तब समाज के बीच जीने वाला व्यक्ति उपेक्षा कैसे कर सकता है ? प्रस्तुत अनुशीलन में हीरविजय काव्य कवि-धर्म की एक नई दिशा है। भरत-बाहुबली महाकाव्य कथावस्तु की अल्पता होने पर भी कवित्व की दृष्टि से काफी प्रौढ़ है । पाश्र्वाभ्युदय के विषय में लेखक की एक टिप्पणी इस प्रकार है __ पार्श्वनाथ काव्य में समासबहुला भाषा का बहुत कम प्रयोग किया गया है। जहां वह प्रयुक्त हुई है वहां भी शरत् की नदी की भांति वह अपना “प्रसाद" नहीं छोड़ती । मंगलाचरण के दीर्घ-समास अनुप्रास तथा प्राजंलता के कारण अर्थ बोध में बाधक नहीं हैं। पद्मसुन्दर को शब्दचित्र अंकित करने में अद्भुत कौशल प्राप्त है । शब्दचित्र की सार्थकता इस बात में है कि वर्ण्य विषय अथवा प्रसंग को ऐसी शब्दावली में अंकित किया जाये कि पाठक के मानस चक्षुओं को तत्काल प्रत्यक्ष हो जाए। छठे सर्ग में पार्श्वप्रभु के विहार के अन्तर्गत प्रभंजन तथा महावृष्टि के वर्णन की यह विशेषता उल्लेखनीय है।Page Navigation
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