Book Title: Jain Sanskrit Mahakavya
Author(s): Satyavrat
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 4
________________ प्रकाशकीय जैन विश्व भारती की प्रकाशन योजना के अन्तर्गत साध्वी संघमित्रा की - सुख्यात कृति " जैन धर्म के प्रभावक आचार्य" के पश्चात् प्रस्तुत कृति "जैन संस्कृत महाकाव्य" है जो अपनी परिधि में एक विशाल क्षितिज को समेटे हुए है । इस कृति में विद्वान् लेखक ने पन्द्रहवीं, सोलहवीं तथा सतरहवीं शताब्दियों में रचित संस्कृत महाकाव्यों की तलस्पर्शी एवं तुलनात्मक आलोचना प्रस्तुत की है। शास्त्रीय महाकाव्य, शास्त्र काव्य, ऐतिहासिक महाकाव्य और पौराणिक महाकाव्य — इन चार वर्गों के अन्तर्गत २२ काव्य-ग्रन्थों पर सूक्ष्म विवेचन इस कृति में समाविष्ट है । अपने क्षेत्र की एक अद्वितीय अमूल्य कृति के रूप में इसका समुचित समादर होगा, यह असंदिग्ध है । जैन विश्व भारती, लाडनूं-३४१३०६ दिनांक ३-११-८ श्रीचन्द रामपुरिया कु

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