Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4 Author(s): Mohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 9
________________ ६०-८७ ८८-९८ ( ८ ) ३. कर्मप्राभृत की व्याख्याएँ कुन्दकुन्दकृत परिकर्म शामकुण्डकृत पद्धति तुम्बुलूरकृत चूडामणि व पंजिका समन्तभद्रकृत टीका बप्पदेवकृत व्याख्याप्रज्ञप्ति धवलाकार वीरसेन धवला टीका ४. कषायप्राभृत कषायप्राभूत को आगमिक परंपरा कषायप्राभृत के प्रणेता कषायप्राभूत के अर्थाधिकार कषायप्राभूत की गाथासंख्या विषय-परिचय ५. कषायप्राभृत की व्याख्याएं यतिवृषभकृत चूर्णि वोरसेन-जिनसेनकृत जयधवला ६. अन्य कर्मसाहित्य दिगम्बरीय कर्मसाहित्य श्वेताम्बरीय कर्मसाहित्य शिवशर्मसूरिकृत कर्मप्रकृति कर्मप्रकृति की व्याख्याएँ चन्द्रषिमहत्तरकृत पंचसंग्रह पंचसंग्रह की व्याख्याएँ प्राचीन षट् कर्मग्रन्थ जिनवल्लभकृत सार्धशतक देवेन्द्रसूरिकृत नव्य कर्मग्रन्थ नव्य कर्मग्रन्थों की व्याख्याएँ भावप्रकरण बंधहेतूदयत्रिभंगी ९९-१०६ १०० १०३ १०७-१४२ १०९ ११० ११४ १२१ १२४ १२६ १२६ १२८ १२८ १३२ १३३ १३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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