Book Title: Jain Mat Vruksha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 35
________________ - २५) तके, २२, बावीसमें तीर्थकर हो. औरभी समुद्रवि- जय के दृढनेमि, स्थनेमि, आदि बेटेथे. वसुदेवजीके बेटे बडे प्रतापी कृष्ण वासुदेव और बलभद्रजी हूओ. सुवीरनामा जो सूर राजाका दूसरा पुत्र था, उसका बेटा भोजवृष्णि हुआ: भोजवृष्णिका उग्रसेन, और उग्रसेनका बेटा कंस हूआ. ...... वसुराजाका नवमा पुत्र सुवसु, जो भागके ना गपुर गयाथा, तिसका पुत्र बृहद्रथनामा हुआ, तिसने राजगृहमें आकर राज्य करा. तिसका बेटा जरासिंध हूआ.” यहप्रसंगसे लिखदीया है, तब नगरके लोक, और पंडितोने पर्वतका बहुत उपहास करा,और पर्वतको कहा कि तू जूठा,क्योंकि तेरे साक्षी वसुकों जूठा जानकर देवताने मारदीया, इस वास्ते तेरेंसें अधिक पापी कौनहै ? असें कहकर लोकोंने मिलकर पर्वतकों नगरसे बाहिर निकाल दीया. तब महाकाल असूर, उस पर्वतका सहायक हुआ रावणने नारदकों पुछाकि वो महाकाल अ- सुर कौनथा ? तब नारदने कहा कि, यहां चरणायु- . ___ गल नामा नगर है, तिसमें अयोधन नामा राजा, : था. तिसकी दिती नामा भार्या थी. तिसकी सुलसा .. .

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