Book Title: Jain Mat Vruksha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 80
________________ (G. चली, इनोंके समय, १५६२, में का णियेने कडुयामत निकाला. (५६) श्री आनंद विमल सूरि. विक्रमात १५९६. स्वर्ग, इनोंकेसमय, १५७२, में नागपुरीय तपा गच्छसे अलग होकर पासचंदने पासचंद मत निकाला... -27 - . - म (५७) श्री विजयदान सीर. विक्रमात, १६२ , वर्षे स्वर्ग. (५८) श्री जगद्गुरु श्री हीरविजय सूरि वि० . १६५२, स्वर्ग. इनोकावर्णन हीरसौभाग्य काव्यमें है. (८२. (५९) श्रीविजयसेनपुरि विक्रमात्,१६७१,स्वर्ग r ६० श्री विजयदेव सूरि विक्रमात, १६८१; श्री दि १ . जयसिंह सरि, विक्रमातं, १७०८. इनोंसें दि

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