Book Title: Jain Mat Vruksha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 75
________________ ... . (७०).:. :: (४७) श्री सोमप्रभसूरि विक्रमात,१३७३, स्वर्ग. (४८) श्री सोमतिलकसूरि. विक्रमात्,१४२४, स्वर्ग. Ayr. : (४९), श्री देवसुंदरसूरि विक्रमात, १४५६, स्वर्ग: , (७३) . (५०), श्री सोमसुंदरसूरि विक्रमात,१४९९,स्वर्ग: (७४) (१) श्री मुनिसुंदरसूरि विक्रमात् १५०३,स्वर्ग. १० (५२) श्रीरत्नशेखरसूरि विक्रमात,१५१७ वर्षे स्वर्ग. ईनोंने श्राधा प्रतिक्रमण वृत्ति, श्राध्ध. विधि सूत्रहीत्त लघुक्षेत्र समास, और :: आचार 'प्रदीपादि ग्रंथ रचेहै. अ-श्री रत्नशेखर सूरिक समयमें संवत् , १५०८, में जिनप्रतिमा, और पंचांगी उथ्थापक लु

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