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वाममार्गियों का परिचय.
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करनेसे युगयुग में मोक्ष की प्राप्ती होती है और भी इन पाखण्डि - योंकें वचनको सुनिये. मदिरा के विषय में वह क्या कहते है ।
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पीत्वा पीत्वा पुनः पीत्वा । यावत् पतति भूतले । उत्थितः सन् पुनः पीत्वा । पुनर्जन्मो न विद्यते । १।
अर्थात् वह अधम्म पाखण्डि वाम मार्गि लोग कहते है कि हे लोगों मदिरा खुब पीवो पहिले पान किया हो तो भी फीर पीवों अगर मदिरापानसे पृथ्वीपर गिर पडे हो तो भी उठके फिर पीवों मदिरापानसे पुनः जन्म लेना न पडेगा । अर्थात् मदिरापान से ही तुमारी मोक्ष होगा । हे नरेश ! उन पाखण्डियोंके व्यभिचारकी तरफ जरा देखिये |
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रजस्वला पुष्करं तीर्थं । चाण्डालीतु स्वयं काशी । चर्मकारी प्रयाग स्यद्रजकी मथुरामत्ता । × × × ×
अर्थात् रजोस्वलाके साथ मैथुन सेवन करना मानो पुष्कर - तीर्थ जितना पुन्य होता है चाण्डालनीसे भोग करना काशतिर्थि की यात्रा जीतना पुन्य व चर्मकारी यानि ढेढणिसे मैथुन सेवनमें प्रायाग जीतना, और धोबर से व्यभिचार करना मथुरातीर्थ जीतना पुन्य होना उन व्यभिचारियोंने बतलाया है इतना ही नहीं पर
मातृ योनि परित्यज्य विहरेत् सर्व योनिषु x x सहस्र भग दर्शनात् मुक्ति × × × × ×
एक माताकी योनिको छोडके सर्व योनि अर्थात् व्यभिचार