Book Title: Jain Itihas
Author(s): Kulchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 5
________________ समर्पण.... समर्पण.... समर्पण..... परम पूज्य गुरुदेवने समर्पण... शिल्पी बनी अनेक साधुओने घडनारा, जिनशासनने विशाळ साधु समुदायनी भेट धरनारा, विपुल कर्म-साहित्यनुं नवनिर्माण करनारा, उत्कृष्ट निर्मळ संयमनुं पालन करनारा, एवा सिद्धांत महोदधि, कर्मसाहित्यनिष्णात परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय प्रेमसूरश्वरजी म. साहेबना करकमलमां सादर समर्पण..... प.पू. आ. श्री कुलचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेब

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