Book Title: Jain Granth Sangraha
Author(s): Nandkishor Sandheliya
Publisher: Jain Granth Bhandar Jabalpur

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Page 5
________________ विषय-सूची। नं० नाम पृष्ठ न० नाम पृष्ठ १, मंगलाचरण ... १ १८, ग्यारह रुद्र ... ८ २, णमोकार मंत्र ... ११६, चौवीस कामदेव... . ३, णमोकारमंत्रकामहात्म्य २०, चौदह कुलकर ... । ४, पञ्च परमेष्ठियों के नाम १ २१, बारह प्रसिद्ध पुरुषों ५, वर्तमान चौवीसी २ के नाम ... . ६, चौबीसतीर्थकरों के २२. सिद्धक्षेत्रों के नाम १० शरीर का वर्ण ... ६ २३, चौदह गुणस्थान... १० ७, चोवीस तीर्थंकरों २४, श्रावककेर उत्तरगुण १० के निर्वाण क्षेत्र ... ६ २५, श्रावकको५३ क्रियायें ११ ८, पांचतीर्थकर घाल- २६, ग्यारहमतिमात्राओं ब्रह्मचारी ... ६ का सामान्य स्वरूप १३ ६, तीन तीर्थकर तीन २७, श्रावक के १७ नियम १५ पदवीधारी ... ६ २८, सप्तव्यसनका त्याग १६ १०, महा विदेह क्षेत्र के २६, वाईसअभक्षकात्याग १६ चीस विद्यमान ३०, श्रावककेनित्यपट्कर्म १७ तीर्थकर ... ६ ३१, सामायिकपा(भाषा) १७ ११, चोचीसमतीततीर्थकर ७ ३२, सामयिकपाठ १२, चौवीस भनागत (संस्कृत) ... २२ तीर्थकर ... ७ ३३, दर्शन पाठ .... २५ १३, वारद चक्रवर्ती ... ७ ३४, दौलतरामकृतस्तुति २६ १४, नव नारायण ... ८ ३५, दर्शन पच्चीसी ... .३० १५, नव प्रति नारायण . ८ ३६, शान्तिनाथाष्टकस्तोत्र ३३ १६, नव ग्लभद्र ... ८ ३७, महावीराटक स्तोत्र ३४ १७, नव नारद ... ८३८, प्रातःकाल की स्तुति ३५

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