________________ सत्ता का द्रव्यपर्यायात्मक पर्याय राजकुमारी जैन ___ हमें जगत् के विभिन्न पदार्थ निरन्तर परिवर्तनशील स्वरूप में ज्ञात होते हैं / हम देखते हैं कि जो आम पहले हरा और खट्टा होता है, वही आम कुछ दिन पश्चात् पक कर पीला और मीठा हो जाता है, वही आम और एक दो दिन पश्चात् सड़ जाता है, उसका पीला रंग काले रंग में तथा मीठा स्वाद कड़वे स्वाद में परिवर्तित हो जाता है। हमारा यह अनुभव एक ही वस्तु के प्रति 'यह वही है तथा 'यह वह नहीं है' रूप परस्पर विरोधी प्रतीतियों को समाहित किये हुए है तथा यह उस वस्तु के परिवर्तनशील और स्थायी स्वरूप की ओर संकेत कर रहा है। अनुभव द्वारा ज्ञात हो रहा पदार्थों का यह सप्रतिपक्षी विशेषताओं से युक्त स्वरूप दार्शनिकों के लिये प्राचीन काल से ही गम्भीर समस्या रही है / दर्शन के इतिहास के प्रारम्भ से ही भारतीय और यूनानी सभी दार्शनिक इन प्रश्नों से जूझते रहे हैं कि परिवर्तन का क्या स्वरूप है, परिवर्तन की प्रक्रिया के आधार रूप में कोई एक स्थायी सत्ता विद्यमान है अथवा नहीं, यदि है तो वह स्थायी सत्ता स्वयं परिवर्तनशील है अथवा नहीं, यदि वह स्वयं परिवर्तनशील है तो फिर वह 'एक स्थायी सत्ता' किस प्रकार हो सकती है, यहि वह स्वयं परिवर्तन रहित है तो फिर परिवर्तन किसका हो रहा है, तथा परिवर्तन से उस स्थायी सत्ता का क्या सम्बन्ध है ? यदि परिवर्तन की प्रक्रिया के आधार रूप में कोई स्थायी तत्त्व विद्यमान नहीं है तो परिवर्तन को एक 'प्रक्रिया' किस प्रकार कहा जा सकता है, ऐसे अनेक प्रश्नों के समाधान के प्रयास के रूप में जैन दार्शनिक अपनी द्रव्य की अवधारणा को प्रस्तुत करते हैं। उनके अनुसार जगत् के प्रत्येक पदार्थ की अपनी स्वतन्त्र सत्ता है। इसलिए जो भी अस्तित्ववान् है, वह द्रव्य है तथा वह उत्पादव्ययध्रौव्य युक्त तथा गुण पर्यायों का आश्रय है।' द्रव्य शब्द 'दु' धातु से बना है, जिसका अर्थ है द्रवित होना, गमन करना / इस मूल धातु से व्युत्पत्ति के अनुसार द्रव्य को परिभाषित करते हुए कुन्दकुन्दाचार्य कहते हैं कि जो उन-उन सद्भाव पर्यायों को द्रवित होता है, गमन करता है, उसे द्रव्य कहते हैं तथा यह सत्ता से अभिन्न है। जैनेन्द्र व्याकरणकार कहते हैं "द्रव्य भव्ये" अर्थात् जो निरन्तर नये स्वरूप में बनने, स्वरूप लाभ करने की योग्यता से सम्पन्न हो, निरन्तर भवन शील हो वह द्रव्य है। इस प्रकार जैन आचार्यों के अनुसार द्रव्य एक ऐसी ध्रुव सत्ता