Book Title: Jain Dharm me Paryaya Ki Avdharna
Author(s): Siddheshwar Bhatt, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 212
________________ 202 जैन धर्म में पर्याय की अवधारणा 34. पार्थिवी - आग्नेयी - मारुति - वारुणीति चतुर्थ / वही, 4/16 35. शद्धचैतन्यानभवः समाधिः / विकल्पशन्यत्वेन चित्तस्य समाधानं वा / संतुलनं वा / मनोऽनुशासनम्, 4/27 से 24 36. सुनिर्णीतसुसिद्धान्तैः प्राणायामः प्रशस्ते / मुनिभिर्ध्यानसिद्धयर्थ स्थैर्यार्थ चान्तरात्मनः // ज्ञानार्णवः, 29/1 37. स्थिरी भवन्ति चेतांसि प्राणायामावलम्बिनाम् / वही, 29/14 38. सर्वथा हिंसाऽनृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहेभ्यो विरतिर्महाव्रतम् / मनोऽनुशासनम्, 6/1 39. क्षमा - मार्दव - आर्जव - शौच - संयम - तपस्त्याग - आकिंचन्य - ब्रह्मचर्याणि श्रमणधर्मः // वही, 6/ 40. मनोऽनुशासनम्, 6/27 41. वही, 7/1-5 42. वही, 7/6-9

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