________________ पर्यायाधिकार 167 15. स्वभाव व विभाव अर्थात् क्या ? जो बिना किसी दूसरे पदार्थ की अपेक्षा किये द्रव्य में स्वतः व्यक्त हो, वह स्वभाव होता है और पर संयोग के निमित्त से प्रकट हो सो विभाव कहलाता है / स्वभाव शुद्ध होता है और विभाव अशुद्ध / 16. स्वभाव द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? शुद्ध द्रव्यों के आकार को स्वभाव द्रव्य पर्याय कहते हैं; जैसे मुक्तात्मा का अथवा धर्मास्तिकाय का आकार। 17. विभाव द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? ___ अनेक द्रव्यात्मक संयोगी आकार को विभाव द्रव्य पर्याय कहते हैं, जैसे शरीरधारी संसारी जीव का आकार या स्कन्ध / एक द्रव्यात्मक होने से स्वभाव द्रव्य पर्याय नहीं होती ? नहीं होती है, क्योंकि वह भी अनेक प्रदेश प्रचय रूप है / क्रिया व परिस्पन्दन को द्रव्य पर्याय कहना ठीक नहीं ? ठीक है, साधारणतः, उसे द्रव्य पर्याय न कहकर, क्रियावती शक्ति की पर्याय कह दिया जाता है, पर वास्तव में वह भी द्रव्य पर्याय ही है। कारण कि एक तो वह प्रदेशों में प्रदेश प्रचयरूप सम्पूर्ण द्रव्य में होती है और दूसरे द्रव्य के आकार निर्माण में कारण है / गुण पर्याय किसे कहते हैं ? आकार से अतिरिक्त अन्य सर्व भावात्मक गुणों की पर्याय गुणपर्याय कहलाती हैं, जैसे चारित्र गुण की राग पर्याय और रस गुण की मीठी पर्याय / 21. गुण पर्याय कितने प्रकार की होती हैं ? दो प्रकार की-स्वभाव गुण पर्याय व विभाव गुण पर्याय / 22. स्वभाव गुण पर्याय किसे कहते हैं ? शुद्ध द्रव्यों के गुणों की पर्याय को स्वभाव गुण पर्याय कहते हैं; जैसे मुक्तात्मा के ज्ञान गुण की केवल ज्ञान पर्याय तथा परमाणु के इस गुण की तद्योग्य सूक्ष्म पर्याय / 23. विभाग गुण पर्याय किसे कहते हैं ? ___ अशुद्ध द्रव्यों के गुणों की पर्याय को विभाव गुण पर्याय कहते हैं; जैसे संसारी आत्मा के ज्ञान गुण की मति ज्ञान पर्याय और स्कन्ध के रस गुण की मीठी पर्याय /