Book Title: Jain Dharm Vishayak Prashnottar
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 9
________________ अर्पणपत्रिका. सद्गुण संपन्न स्वधर्म प्रेमी गुरुजक्त सुज्ञ शेठ श्री रणशीभाई देवराज मु. मोटी खाखर. __ (कच्छ). आप एक नदार अने श्रीमान जैन गृहस्थ गे जैनधर्म प्रत्येनो तेमज मुनि महाराजान प्र त्येनो आपनो अवर्णनीय प्रेम, श्वःक्षा, अने लागणी प्रसंशनीय डे. जैनधर्मना ज्ञाननो बहोलो फेलावो थाय तेवा यत्न करवामां आप प्रयत्नशील गे, अने तेवा नुत्तम कार्यना नमुनारुपे आपे आ ग्रंथ पाववामां योग्य मदद आपी ने तेमज अमारी मा सन्ना उपर अत्यंत प्रीति धरावो गे. विगेरे कारणोथी आ ग्रंप अमें आपने अर्पण करवानी रजा लश्ए गए. प्रसिकर्ता, - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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