Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08 Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: View full book textPage 5
________________ TREEeasantarves -- मम से सकर्मवार का सस्पताल परिसापार वार्म पुरूपापार भयरय पठनीय हनक अप्पपन से प्रत्येक पति का पास्तविक गम होसकता है। यह सब श्री श्री भी 1008 गयापक परिमपिव / मी मुनि परामरास श्री महाराय की मामी श्री श्री प्रबचक पर पिपिव भी मुनि शरिणाम नी मदाराम की पा काही फसदमो में इम सम को पूरा कर मका / अतः विचारियों कोपोग्य किये जैन धर्म की शिक्षामो से स्वयम्म को पवित्र - - - - गुरुपरपरसेवी भारमाPage Navigation
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