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सभी के लिए खोल दिया। इस प्रकार उच्च भाषाभिमान को समाप्त किया।
साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका यह चार तीर्थ कायम किये, इनको ‘सघ का नाम दिया।
इस प्रकार भगवान् महावीर ने भारतीय समाज के समग्र मापदण्ड बदल दिये और सम्पूर्ण जीवन दृष्टि में एक दिव्य और भव्य नूतनता उत्पन्न कर दी।
धर्म और समाज की जो बुराइयाँ विकृत कर रही थी उन्हें समूल उखाड फेंका।
साम्प्रदायिकता, विषमता अज्ञानता को दूर कर भगवान महावीर ने भारतीय समाज को स्वस्थ एव उदार दृष्टिकोण प्रदान किया।
राग और द्वेष पर पूर्ण विजय प्राप्त करने वाले भगवान् महावीर ५२७ ई० पू० कार्तिक कृष्ण अमावस्या को पावापुर में निर्वाण पद को प्राप्त होकर 'सिद्ध' बन गये ।