Book Title: Jain Bharati
Author(s): Shadilal Jain
Publisher: Adishwar Jain

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Page 97
________________ मापका स्थान लेने को तैयार। समाज के प्रति, धर्म के प्रति अपना अमूल्य समय दीजिये, शक्ति दीजिये, बुद्धि दीजिये और युवा पीढ़ी का नेतृत्व कीजिये। प्रत्येक नगर में, कस्बे में, गाँव में अगर 10 महानुभाव ऐसे मिल जाये तो स्वत: ही 'महावीर हाई कमाण्ड' तैयार हो जायेगा। समाज और धर्म को आपका नेतृत्व मिल जायेगा। धर्म लगड़ा है उसे लाठी का सहारा चाहिए। आप ही उसे गतिमान करेगे। वह आपकी रक्षा करेगा। 25वी महावीर निर्वाण शताब्दी मे आप 'वीर सेना' का सिपाही बनिये या नायक बनिये यह आपकी इच्छा और शक्ति पर निर्भर है। मृत्युपर्यत गृहस्थ धर्म को भोगते रहने की लालसा तीन होना कोई बड़प्पन की बात नही है। क्या हर्ज है अगर पुरानी 'स्वस्थ परम्परा' पुनः चालू की जाये। 50-55 की आयु के पश्चात् त्याग की प्रथा को पुनर्जीवित किया जाये । आप इस सुनहरी अवसर पर दृढ़ सकल्प कीजिये । समाज और धर्म आपके नेतृत्व की अपेक्षा करता (xii) जन सम्पर्कः भारत केवल शहरों में ही नही बसता, उसकी 82% जनसंख्या लगभग साढे सात लाख गांवों में निवास करती है । जैनो का कार्य-क्षेत्र मुख्यतया नगरों तक सीमित रहा है । वहाँ कुछ कर्मठ लोग समारोहों, गोष्ठियों तथा साहित्य निर्माण द्वारा अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। हम ऐसे कर्मठ लोगो के बडे कृतज्ञ हैं जो इतना भी कर पाते हैं।

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