Book Title: Jain Bharati
Author(s): Shadilal Jain
Publisher: Adishwar Jain

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Page 156
________________ माग में बने हुए हैं / इन में सुपार्श्व तीर्थकर के अतिरिक्त सरस्वती, मात स्वप्न, विवाह, समवसरण, देशना आदि के चित्र बडे सुन्दर है / इसके पश्चात् कालीन कल्पसूत्र की अनेक सचित्र प्रतियां नाना जैन भण्डारो मे पाई गई है। जिन में विशेष उल्लेखनीय बडौदा के 'नरसिहजी भण्डार' में सुरक्षित है / यह प्रति यवनपुर (जौनपुर उ० प्रदेश में हुसैन शाह के राज्यकाल में वि० स० 1522 में, 'हर्षिणी श्राविका' के आदेश से लिखी गई थी। इसमे 86 पृष्ठ है और 'समस्त लेखन सुवर्ण स्याही से हुआ है। अन्य विशेष उल्लेखनीय कल्पसूत्र की अहमदाबाद के 'देवसेनपाड़ा' की प्रति है, जो भडौच के समीप गन्धार बन्दर के निवासी साणा और जूठा श्रेोष्ठियो के वन्शजों द्वारा लिखाई गई थी। यह भी 'सुवर्ण स्याही' से लिखी गई है। कला की दृष्टि से इसके कोई 25-26 चिन्न सर्वश्रेष्ठ माने गये है, क्योकि इन में 'भरतनाट्यशास्त्र' मे वरिणत नाना नत्य मुद्रामो का अंकन पाया जाता है। एक चित्र में महावीर द्वारा चन्डकोशिक नाग के वशीकरण की घटना दिखाई गई है। (4) दिल्ली के शास्त्र भण्डार में पुष्पदन्त कृत अपभ्रन्श' महापुराण' की एक प्रति है जिसमे सैकडो चित्र तीर्थकरो के जीवन की घटनामो को प्रदर्शित करने वाले विद्यमान है। 15) नागौर के शास्त्र भडार में एक यशोधर चरित्र की प्रति है, जिसके चित्रो की उसके दर्शपो ने बडी प्रशंसा की है। (6) नागपुर के शास्त्र भडार से 'सुगन्ध दशमी' कथा की एक प्रति मिली है, जिसमें उस कथा का उद्धृत करने वाले 70 से अधिक चिन्न हैं। (7) बम्बई के पन्नालाल जैन सरस्वती भवन में भक्तामर

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