Book Title: Jain Bharati
Author(s): Shadilal Jain
Publisher: Adishwar Jain

View full book text
Previous | Next

Page 148
________________ १५० अन्यत्र किसी मी तीर्थ क्षेत्र मे नही है । वर्तमान मे वहाँ पाए जाने वाले मदिरो मे सबसे प्राचीन उन्ही विमल शाह का है जिन्होने आबू पर विमल वसही मन्दिर बनवाया । दूसरा मन्दिर राजा कुमार पाल का बनवाया हुआ है । यहा 500 से भी अधिक जैन मन्दिर हैं जिनमे 5000 मूर्तियाँ तीर्थंकरो की स्थापित है । रचना, शिल्प व सौदर्य मे ये मन्दिर देलवाडा मन्दिरो का अनुकरण ही है । 18 गिरनार सौराष्ट्र का दूसरा महान तीर्थ क्षेत्र है गिरनार । इस पर्वत का प्राचीन नाम 'ऊर्जयत' व 'रैवतिक' गिरि पाया जाता है जिसके नीचे बसे हुए नगर का नाम गिरिनगर रहा होगा जिसके नाम से अब स्वय पर्वत ही गिरिनार (गिरिनगर ) कहलाने लगा है । जूनागढ से इस पर्वत की ओर जाने वाले मार्ग पर ही वह इतिहास प्रसिद्ध विशाल शिला मिलती है जिस पर अशोक, रुद्रदामन और स्कंदगुप्त सम्राटो के शिलालेख खुदे हुये हैं और इस प्रकार जिस पर 1000 वर्ष का इतिहास लिखा हुआ है । जूनागढ़ के समीप ही घरसेनाचार्य की चन्द्र गुफा है जिसका उल्लेख पहले किया जा चुका है। इस प्रकार यह स्थान ऐतिहासिक व धार्मिक दोनों दृष्टियो से प्राचीन सिद्ध होता है । गिरिनगर पर्वत का जैन धर्म से इतिहासातीत सम्बन्ध इस लिये पाया जाता है क्योकि यहाँ पर ही बाईसवे तीर्थंकर नेमिनाथ ने तपस्या की थी और निर्वाण प्राप्त किया था ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156