Book Title: Jagatkartutva Mimansa
Author(s): Balchandra Maharaj
Publisher: Moolchand Vadilal Akola

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Page 7
________________ पूज्यवर्य गणिजी श्रीमान् केवलचन्द्रजी महाराज का संक्षिप्त जीवन चरित्र | रोपकारी, उदार चरित महान पुरुषोंकी जीवनी पढ़ने से मनुष्य को जैसा मनुष्य कर्त्तव्यका ज्ञान प्राप्त होता है, वैसा ज्ञान अन्य किसी भी साधन द्वारा नहीं हो सकता। जैसा जैसा मनुष्य उत्तम पुरुषोंके चरित्र पढ़ते चला जाता है तैसा तैसा उसके मनमें उच्च श्रेणी के विचार बँधते चले जाते हैं । और अन्त में ऐसी कर्तृत्व शक्ति प्राप्त होजाता है कि जिसकी प्रशंसा सुज्ञ लोक किये विना नहीं रह सकते । जीवनी लिखने का शौक भारत में हजार पंधरासौ वर्षों के प्रथम बहुतथा ऐसा प्रबंध चिंतामणि आदि ऐतिहासिक ग्रंथों पर से मालूम होता है किन्तु जबसे मुगलों की राज्य सत्ता भारत में हुई तबसे इस बात का शौक नष्ट प्रायसा होगया. भारतके प्राचीन इतिहासमें जो जो त्रुटियां विदित हो रही हैं. इसका कारण भी मुगलोंकी राज्य सत्ता ही को मानना चाहिये । जबसे पाश्चिमात्य शिक्षाका प्रभाव भारत में पड़ा तबसे यह शौक फिर बढ़ने लगा । प्रस्तुत यहां तक बढ़ा हुआ है कि अनेक दैनिक, साप्ताहिक, मासिक वर्तमान पत्रों द्वारा और पुस्तकों द्वारा अनेक सज्ज - नोके जीवन चरित्र प्रकाशित होते चले जारहे हैं यह पाश्चिमात्य लोगों के सहवास का ही फल मानना चाहिये । प OGORS आज मैं मेरे परमोपकारी पूज्यपाद गुरुवर्य श्रीमन्महाराज श्रीकेवलचन्द्रजी गणिजीका संक्षिप्त में ही जीवन चरित्र लिखनेका विचार किया है, इस लिये यहां पर केवल आवश्यकीय बातों का ही उल्लेख किया जायगा. यदि समय मिला तो दूसरी वार विस्तार पूर्वक लिखने की चेष्टा करूंगा. गणिश्री केवलचन्द्रजी महाराज का जन्म विक्रम संवत् १८८५ के भाद्रपद कृष्ण १० दशमी गुरुवार के रोज शहर ग्वालियर में गौड वंशीय ब्राह्मण कुल में हुआ. आपकी मातु श्री का नाम सुशीला और

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