Book Title: Hindi Gujarati Dhatukosha
Author(s): Raghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 51
________________ ३८ करना 431 उझल अ. देश. ( * उज्झरः प्रा. उज्झ लेअ; दे. उदर क. दे. 'उढार' 425 इआले. 1676) एक बर्तन से दूसरे बर्तन उढ़ार (1) स. भव (सं. उत् + हवलू; दे. में पहुँचना 410 इआलें 2032) किसी विवाहिता को निकाल उझांक अ. दे. 'उझक' 411 या भगा जाना उझिल अ. दे. 'उझल' 412 (2) स. देश. उद्धार करना 426 उटक स. देश. अटकल से पता लगाना; अ. उढुक अ. दे. 'उढक' 427 अटकना 413 उतपन अ. ना. अर्धसम ( उत्पन्न विशे. सं. उत्पन्न * उठ्ठ अ. दे. 'उठ' दे. पृ. 125, है. भा.) उत्पन्न होना. गुज. तुल. उतपत संज्ञा 428 उठेग अ. देश. (* उपादेग; दे. इआले 2172) उतपाट स. सम (सं. उत् + पाट) उखाड़ना; किसी ऊँची वस्तु का सहारा लेना; टेक लगाना. गुज. उठंग; तुल. ओठिंगग संज्ञा 415 नष्ट-भ्रष्ट करना 429 उठ अ. भव (सं. उत् + स्था; प्रा. उट्ठः दे. उतपात स. दे. 'उतपाद' 430 इआले 1900 ) नीचे के तल या स्तर से उतपाद स. अर्धसम (से उत् + पाद) उत्पन्न ऊपर के तल या स्तर की ओर चलना या बढ़ना. ऊँचाई की ओर या ऊपर जाना अथवा उतपा स. दे. 'उतपन' 432 बढ़ना गुज. ऊठ 116 उतर अ. भव (सं. उत् + तृप्रा. उत्तर; दे. इआले उठक अ. दे. 'उठंग' 417 1770) ऊपर से या किसी सपाटी से नीचे उड़ अ. भव (सं. उन् + डी; प्रा. उड्ड; दे. आना गुज़. ऊतर 433 इआले 1697) पंख के सहारे हवा में चलना- उतरा अ. देश. पानी में पड़ी हुई चीज़ का फिरना: फैलना. गुज. ऊड 418 ऊपर तैरना, पानी के ऊपर आना; विपत्ति उड़का स. देश. ( दे. पृ. 16, दे. श. को.) से उद्धार पाना. गुज. तुल. तर 'तैरना' 434 लगाना, बन्द करना 419 *उतला अ. देश. आतुर होना; उताचल करना उड़ास स. अर्धसम (सं. उत् + दम्श; दे. इआले 435 ___1984) (बिस्तरा आदि ) समेटना 420 *उत्तार स. सम (सं. उत् + तृ) पार उतारना, उडीक स. देश. प्रतीक्षा करना 421 दूर करना 436 उडेर स. दे. 'उडेल' 422 *उत्थव स. देश. आरंभ करना; ऊपर उठना उडेल स. भव ( सं. उत् + लण्ड प्रा. उल्लंडिअ 457 विशे. दे. इकाले 236)) किसी तरल पदार्थ *उत्साह अ. ना. सम (सं. उत्साह संज्ञा). को एक पात्र से दूसरे पात्र में गिराना या उत्साहित होना. गुज. उत्साह संज्ञा 438 डालना गुज. तुल. उलांट संज्ञा 'कलाबाजी, उथप स. अर्धसम (सं. उत् + स्थापू) ऊपर उठना या खड़ा करना; उखड़ना; अ. उठना उदक अ. ना. देश. 'प्रा. उड्ढंक संज्ञाः दे. पू. गुज. उथाप 439 153 पा. स. म. ) ठोकर खाना; सहारा लेना उथरा अ. भव (सं. उत् + स्तृ? प्रा. उत्थर् ) 424 किंचित् उठना. उन्नत होना 440 कूद' 423 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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