Book Title: Hindi Gujarati Dhatukosha
Author(s): Raghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 125
________________ ११२ परख स. भव (सं. परि + इक्ष : प्रा. परिरक्ख; परबोध स. अर्धसम (स. प्र + बुध् ) प्रबोधन दे. इआले 7904) गुण-दोष के निर्धारण के करना, जगाना 2679 . लिए किसी व्यक्ति या वस्तु को भली भाँति *परवान स. अर्धसम (स.प्रमाण संज्ञा) किसी देखना. गुज. परख, पारख 2665 बात को ठीक मानना, प्रामाणिक समझना, परगट अ. ना. अर्धसम (स. प्रगट विशे.) प्रकट तुल. गुज. परमाण, प्रमाण 2680 होना, स. प्रकट करना. गुज. प्रगट, परगट 2666 परवाह स. ना. अर्धसम (स. प्रवाह संज्ञा) परगस अ. दे. 'परगास' 2667 प्रवाहित करना. तुल. गुज. प्रवाह संज्ञा 2681 परगास अ. देश. प्रकाशित होना; स. प्रकाशित परस स. भव (स. स्पृश: प्रा. फासू : दे. इआले करना 2668 ____13811) स्पर्श करना. गुज. परस 2682 परच अ. देश. (* प्र + राज ; दे इआले 8737) *परहर स. दे. 'परिहर' 2683 किमीसे इतनी जान-पहचान हो जाना कि परहेल स. देश. अवहेलना करना 2684 उससे कोई खटक न रह जाय, चसका लगना. परा अ. भव (स. पलू + इ; प्रा. पलाय : दे. गुज. पळक 2669 इआले 7955) पलायन करना 2685 परछ स. ना. देश. (परछन संज्ञा) द्वार पर बरात पराग अ. ना. सम (स. पराग संज्ञा) आसक्त होना; पराग से युक्त होना 2686 आरती करना, परछन करना. तुल. गुज. पकि, परिख अ. दे. 'परख' 2687 पोख 2670 * परिगह स. अर्धसम (स. परि + ग्रह ) परजर अ. अर्धसम (सं. प्र + ज्वल) प्रज्वलित प्रहण करना 2688 होना; बहुत क्रुद्ध होना. गुज. परजळ 2671 परिच अ. दे. 'परच' 2689 परजल अ. दे. 'परजर' 2672 * परज्वल अ. दे. 'परजर' 2673 परिचार स. सम. (सं. परि + चर् ) परिचार करना 2690 परण स. भव (सं. परि + नी, प्रा. परिण ; दे. . परिठ अ. देश. देखना 2691 इआले 7819) व्याह करना, अ. विवाहित होना. गुज. परण 2674 परिबेठ स. देश. आच्छादित करना, लपेटना 2692 परत अ. भव (सं परि + वृतः प्रा. परिवत्त ; दे. पारया अ. अधसम (स.प्र + या ) जाना. तुल. इआले 7872) गुज. परत 2675 गुज, प्रमाण संज्ञा 2693 परतार स. ना. अर्धसम (सं प्रतारण संज्ञा) * परिलेख स. सम (स. परि + लिखू) ठगना. तुल. गुज. प्रतारणा संज्ञा 2676 कुछ महत्त्व का मानना 2694 *परतेज स. अर्धसम (स. परि + त्यज) परिवान स. देश. प्रमाण के रूप में मानना 2695 परित्याग करना 2677 परिहर स. भव (स परि + हृ; प्रा. परिहर ; दे. परपरा अ. अनु. देश. (दे. पृ. 127,दे. श. को.) इआले 7899) छोडना, दूर करना. गुज. मिर्च आदि तीखी वस्तुओं के स्पर्श से जीभ परहर 2696 आदि का जलने लगना 2678 परिहेल स. देश. तिरस्कारपूर्वक दूर हटाना 2697 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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