Book Title: Hindi Gujarati Dhatukosha
Author(s): Raghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ ५. अर्धतत्सम धातुएँ अगम, अगसर, अद्धय, अनमील, अभिलाख-अभिलाख; अरच-अर्च; अरज, अरथा, अरद, अरप-अर्प; अरह, अलोक-आलोक; अवरेख, अवलच्छ, अवलोच, अवाँग, अवसेर, अवार, असंघ, असकता, अहक, अहिघुट्ट आकरख-आकर्ष; आकरस-आकर्ष; आगम, आमरस्त्र, आरूंध, आराध-अवरोध; आबर, आसर..... उखाल, उगार, उडास, उतपन, उतपाद, उथप-उथाप; उदगर, उनमा, उनमाथ, उनमेख, उपकर, उपच, उपदेस-उपदेश; उपराज, उफन, उब, उभट, उलंघ .. ओंग---ऊंग, ऊंज, ओज, ओसा-ओसाव+, औगाह-अवगाह; औतर-अवतर; औधार ... कंष, कटाष, कत्थ, करष, कला-कालव; कीड, कुच, कुंथ, कूद-कूद; क्रील गथ, गरज-गरज तथा गर्ज; गरब, गरभा, गरास-ग्रस; गवेस, गहबर, गहास, गिरास-गरास धोख-गोख; घोस चकरा-चकरा; चरम-चर्च; चूंट छंदर जंत्र, जनम-जनम; जरजर, जलप-जल्प; ठहर ढोक तज-तज; तरक, तरज, तरस-तरस तथा तलस; तिरास थर दगध, दरम, दरसा-दरशाव तथा दरश धिआ-ध्या, धुतकार-धुतकार; ध्या-ध्या नकार-नकार; निखेध, निखोर, निमेख-निमेष; निरत, निरधार-निर्धार; निरम-निर्म; निरमूल, निर्बह, निहबर, नीराज पतिपार, परकास-प्रकाश, परगट-प्रगट तथा परगट; परजर-परजळ; परतार, परतेज, परबोध-प्रबोध; परवानपरमाण तथा प्रमाण; परवाह, परिगह, परिया, परेख, पहर, पिरीत, प्रकास-प्रकाश; प्रगट-प्रगट; प्रजर-प्रजळ; प्रतोष, प्रनम-प्रणम; प्रफुल-प्रफुल्ल; प्रमान-प्रमाण; प्रहरख, प्रास फांस-फाँस बंच-वंच; बंछ-वांछ; बंद-वंद; बथ, बध, बप-वाव; बम, बरख-वरस; बरज-वर्ज; बरत-वरत; वरन-वर्णव बरम्हा, बरष-वर्ष; बाँच-वंच; बांछ-वांछ; बा, बाज-बाज तथा बाझ+, बापर-वापर; बिंद-बंद; बिकला, चिकस-विकस; विगच, बिघट, बिचर-विचर; बिचल-चळ; विचार-विचार; पिछल, बितर-वितर; बिदल, बिदह, बिदूष, बिनय, बिफर-विफर; बिबस, बिबाद, बिवाह, बिबेच-विवेच; बिभा-विभा; बिभिना, विमोच-विमोच; बिमोह-मोहः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246