Book Title: Hindi Gujarati Dhatukosha
Author(s): Raghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 135
________________ १२२ किसी तरल पदार्थ में फेन उत्पन्न होने लगे. बकोट स. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 134, हि. दे. गुज. फेण, फीण 2939 श.) पंजे या नाखूनों से नोचना; बलपूर्वक फेर स. देश. (दे. पृ. 138, दे. श. को.) वसूल करना 2953 घुमाना; वापस करना. गुज. फेरव 'घुमाना'; बखस स. दे. 'बख्श' 2954 तुल. गुज. फेरो 'फेरा' 2940 बकसीस स. ना. वि. (बखशिश संज्ञा; फा.) फैल अ. भन (*प्रथिल; प्रा. पहिल्ल; दे. इआले बखशिश के रूप में देना. तुल. गुज. बक्षिश 8652) अधिक स्थान घेरना; प्रसिद्ध या प्रचा- संज्ञा 2955 रित होना. गुज. फेला; तुल. गुज. पहेलु विशे बखान स. ना. भव (बखान संज्ञा; सं. व्या + 'पहला 2941 ख्या; प्रा. व + खाण; दे. इआले 12188) फोंक अ. देश. (दे. पृ. 138, दे. श. को.) वर्णन करना; बड़ाई करना; गालियाँ देना. गुज. आवेश में आकर डीग मारना 2942 वखाण 2956 बंच (1) स. ना. अर्धसम (सं. कचना संज्ञा) बखिया स. ना. वि. (बखिय; संज्ञाः फा.) सिलाई करना. तुल. गुज. बखियो संज्ञा 2957 गना; अ. ठगा जाना. गुज. वंच (2) स. ना. अर्धसम (सं. वाचन संज्ञा) पढ़ना; बखेर स. दे. 'बिखेर' 2958 दे. 'बाँच' 2943 बखोर स. ना. देश. (खोर संज्ञा ) सीधे रास्ते से किसी ओर रास्ते पर ले जाना 2959 बंछ स. ना. अर्धसम (सं. वाञ्छा संज्ञा ) इच्छा __ करना. गुज. वाँछ 2944 बख्श स. ना. वि. (बख्श विशे, फा.) प्रदान करना; क्षमा करना. गुज. बक्ष 2:60 बंद स. अर्धसम (सं. वन्द ) वंदना करना... बग अ. देश. घूमना; फिरना; दौड़ना 2961 गुज. वंद 2945 - बगद अ. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 134, हि. दे. बंबा अ. अनु. (दे. पृ. 43, मा. हि. को-4) श.) बिगड़नाः गुस्से में अंतु-बंड बकना, गिर गौ आदि पशुओं का बाँ बाँ शब्द करना, पड़ना 2962 रंभाना 2946 बगबगा अ. अनु. (दे. पृ. 47, मा. हि. को. बउरा अ. दे. 'बौर, 2947 ऊँट का काम-वासना से मत्त होना 2963 बक स. देश. (* बक्क: प्रा. बक्कर संज्ञा, दे. बगर अ. देश, फैलना, छितराना 2964 इआलें 9117 बोलना, मुँह से गालियाँ बगलिया अ. ना. वि. (बगल संज्ञा फा.) बगल निकालनाः अ. बड़-बड़ाना. गुज. बक 2946 से होकर जाना, अलग होकर जानाः स. अला बकठा अ. देश. बहुत कसैली चीज खाने से करना; बगल में करना, तुल गुज. बगल संज्ञा ___ जीभ का कुछ ऐंठना 2949 2965 बकर अ. भव (सं. बर्कर; प्रा. बक्कर संज्ञा; *बगेद स. देश. धक्का देकर गिरा देना, दे. पृ. 157, हि. दे. श.) अपना दोष स्वीकार विचलित करना 2966 करना; आपसे आप ऊबना; बड़बड़ाना 2950 बघार स. भव (सं. व्या + धृः प्रा. वग्घारिअ बकस स. दे. 'बख्श' 2651 विशे; दे. इआले 12191 ) हींग, जीरा, बकुच अ. देश. सिमटना, सिकुड़ना 2952 प्याज आदि घी में कड़कड़ा कर दाल, तर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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