Book Title: Hastikundi Ka Itihas
Author(s): Sohanlal Patni
Publisher: Ratamahavir Tirth Samiti

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Page 10
________________ हस्तिकुण्डी एक परिचय राता महावीरजी के नाम से विख्यात राठौड़ों की ध्वस्त हस्तिकुण्डो नगरी जवाई बाँध (पश्चिमी रेलपथ) से 14 किलोमीटर दूर स्थित बीजापूर ग्राम से सवा तीन कि. मी. की दूरी पर है। राजस्थान के धुरन्धर इतिहासवेत्ता मुनिश्री जिनविजयजी ने प्राचीन जैन लेखसंग्रह, द्वितीय भाग में पृष्ठ 175 से 185 तक हस्तिकुण्डी का वर्णन करते हुए इसके मन्दिर व शिलालेख को राजस्थान के 556 जैन मन्दिरों के शिलालेखों में सबसे प्राचीन माना है / यह हस्तिकुण्डी नगरी राष्ट्रकूटों की राजधानी थी। इस नगरी के दो नाम प्रचलित हैं-हस्तिकुण्डी तथा हस्तितुण्डी / प्राकृत भाषा में कु एवं तु दोनों का उ हो जाता है और हस्ति का हत्थी अर्थात् हत्थीउण्डी हथूडी। इस उजड़ी नगरी का वर्तमान में यही नाम है / नगरी का एक मात्र वैभव राता महावीर का मन्दिर है जो अपने शिलालेखों से नगरी का विगत वैभव कहता है। ____ शिलालेख में इस नगरी का नाम 'हस्तिकुण्डिका' भी दिया हुआ है जिसका तात्पर्य है हाथियों से भरी हुई नगरी / उस काल में इस नगरी में हाथियों की भारी धकापेल रही

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