Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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शाताधर्मकथासूत्रे एक महद् रुधिरकृत रख ' साज्जियाखारेण ' सर्जिकाक्षारेण सज्जीनाम्ना प्रसि द्धया क्षारमृत्तिकया 'अणुलिंपइ' अनुलिपति अनुलिप्य ! — पयण' पचन पामस्थान 'आरुहेइ ' आरोहयति रुधिरलिप्त रख क्षारमृत्तिकानुलिप्त कृत्वा क करिमश्चिम् मृ मयादिपाने निधाय तत्पान चुलिकोपरिस्थापयतीत्यर्थः । आ 'उण्ह गाहेई' उप्ण ग्राहयति उष्णीकरोति ग्राहयित्वा तत पश्चात् शुद्धेन गरिणा धावयेत् , हे सुदर्शन ! स नून तस्य रुधिरकृतस्य वस्त्रस्य सर्जिकासारेण अनुलि. प्तस्य पचनमारोहितस्योप्ण ग्राहितस्य शुद्धेन वारिणा 'परखालिज्जमाणस्स 'म इसी तरह हे सुदसण? तुम्हारी भी प्राणातिपात से यावत् मिथ्या दर्शन शल्य से शुद्धि नही होती है। जैसे उस शोणितलिप्त वस्त्र की मधिर से धोने पर शुद्धि नही होती है। (सुदसणा' से जहाणामए केहपुरिसे एग मह रुहिरकयवत्य सजियाखारेण अणुलिंपड, अणुलि पित्ता पयण आरुहेइ, आरुहिता उण्हे गाहेह, गाहिता तओ पच्छा सुद्धेण वारिणा धोवेजा से शृण सुदसणी ! तस्स रुहिरकयस्स बत्यस्स सज्जियाखारेण अणुलित्तस्स पयण आरुहियस्स उण्ड गाहियस्स सुद्धणं सुद्धणं वारिणी पश्खलिज्जमाणस्स सोही भवइ) शुद्वि का प्रकार इस तरह है सुदर्शन ! जैसे कोई पुरुप एक महान रुधिरलिप्त वस्त्र को साजी खारसे अनुलिप्त कर कीसी मिटि के बर्तन मे रख उसे चूलेपर रखता है-रखकर फिर उसे गर्म करता है-गर्म कर उसके बाद उसे फिर शुद्ध जल से प्रक्षालित करता है तो हे सुदर्शन ! निश्चय से પ્રાણાતિપાત થી કે યાવત્ મિથ્યાદર્શન રાવ્યથી શુદ્ધિ થતી જ નથી જેમ है सोडीयी १२ मेरा सूडानी शुद्धि खडी 43 यती नथी (सुद सणा ? से जहा णामए केइ पुरिसे एग मह रुहिरकयवत्थ सज्जियासारेण अणुलिंपड, अणुलिंपित्ता पयण आरहेइ, आरुहिता उण्हे गाहेइ, गाहित्ता तओ पच्छा सुद्धण वारिणा धोवेज्जा से णूण सुद सणा | तस्स रुहिरकयस्म वत्थस्स सज्जियासारेण अणुलित्तस्स पयण आरुहियस्म ऊण्ह गाहियस्स सुद्वेण सुद्धेण वारिणापक्सा रिज्जमाणस्स सोही भवइ) सुशन सहीथी ५२७.ये। सूनानी शुद्धि આ પ્રમાણે થાય જેમ કે સૌ પહેલા લેહભીનાં વસ્ત્રને માણસ સાજીખાર ના પાણીમાં બળીને માટીના વાસણમાં મૂકીને તેને ચૂલા ઉપર ચઢાવે છે અને નીચે અગ્નિ પ્રકટાવીને તેને ઊન કરે છે અને ત્યાર બાદ લગડાને શુદ્ધ પાણીથી સાફ કરી નાખે છે તે તે નિશ્ચિત પણે સાજીખારમાં બળવાથી