Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 993
________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ० १० सातोदकविषये सुबुद्धिदृष्टान्त Log प्रसादनीय ज्ञात्याहट तुट हुभिः । उद्गमभारणिज्जेहिं ' उदकसभारणीयै = जगकरणयोग्ये केतकीपाटलादिद्रव्यैः ' समारे ' सभारयति = सस्कार यति भारयिला जितनो राज्ञः 'पाणियारय ' पानीयहारक यस्य हस्ताद्वारा पानीय पितत शब्दयति, शब्दयिला एवमादीत्व च खलु हे देवानुप्रिय ! उदमुदकरन्न गृहाण, गृहीत्वा जितशत्रो रातो भोजनवेलायाम् उपनय । ततः खलु पानीयहारक. सुबुद्धिकस्य = सुबुद्विनामकामात्यस्य एतमर्थ = रान. पानीय उदगसभारणिज्जेरि समारेड सभारिता जियसत्तस्स रण्गो पाणिय घरिय सहावे, सदावित्ता एव क्यासी - तुमच ण देवाणुप्पिया इम उदरगण गणाहि २ जियसत्तूस्त रण्णो भोयणवेला उवणेज्जासि ) इसके बाद वह सुबुद्धि अमात्य जहाँ वह उदक रत्न था वहा गया । वहा जाकर उसने उस उदकरत्न को हाथ में लेकर चखा । चख कर जन उसे यह नात हो चुका कि यह उदक रत्न वर्णादि से युक्त यावत् सर्वेन्द्रिय गान प्ररहादनीय वन गया है तो वह बहुत ही आनन्दित एक सतुष्ट हुआ बाद में उसने उस जल को सुगवित करने वाले केतकी पाटल (गुलाब) आदि द्रव्य से सस्कारित किया-सस्कारित करके फिर उसने जितशत्रु राजा को जो पानी पिलाने वाला भृत्य या उसे बुलाया बुलाकर उससे ऐसा कहा - हे देवाणुप्रिय ! तुम इस उदक रत्न को लो और लेकर जब जिनशत्रु राजा के भोजन करने का समय होवे तन उसे उनके पास ले जाना । (तरण से पणियधरिय सुबुद्धियमभारे: समारिया जियसत्तस्स रण्णो पाणियघरिय सदावे, सदाविना एव वयासी - तुम चण देनाणुप्पिया इम उदगरयण गेव्हाहिर जियमत्तस्म रणो भोला वज्जासि ) ત્યારપછી અમાત્ય સુબુદ્ધિ જ્યા ઉદકરત્ન ( પાણી ) હતુ ત્યા ગયે ત્યા જઈને તેણે ઉદરત્ન ( પાણી )ને હથેળી ઉપર લને ચાખ્યુ ચાખ્યા ખાદ તેને એમ લાગ્યુ કે ખરેખર આ ઉદરત્ન (પાણી) વર્ણ વગેરે ગુણેાથી યુક્ત યાવત્ ખંધી ઇન્દ્રિયે! અને શરીરને આનદ પમાડે તેવુ થઈ ગયું છે ત્યારે તે બ જ પ્રસન્ન અને સતુષ્ટ થયે ત્યાર પછી તેણે પાણીને સુવાસિત કર નાગ કેતકી પાટલ ( ગુલાખ ) વગેરે દ્રવ્યાયી પાણીને સારિત કર્યું. પાણીને રિત કર્યાં બાદ અમાત્યે જીતનુ રાજને પાણી પીવડાવનાર નાકરને આલા ચે। અને ખેલાવીને તેને હ્યુ કે હે દેવાનુપ્રિય 1 રાજાને જમવાને વખત થાય ત્યારે તુ આ ઉદકરન (પાણી) તેમની પાને લઈ જશે स (तरण से परियमुद्वियस्स एयम पडणे, पडिणित्ता त

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