Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतषिणी टीका अ० ८ महायलादि पट्राजचरितनिरूपणम् २७७ (मध्यजम्मूद्वीपे ) भारते वर्षे भरत-क्षेत्र, विशुद्धपिठमावशेष राजकुलेषु प्रत्येक २ कुमारतया ' पच्चायाया होत्या प्रत्युत्पन्ना अभूवन तद्यथा-१. प्रति बुद्धिः-इक्ष्वाकुराज प्रथमो जीव प्रतियुद्धि नामका कोशलदेशाधिपतिः । यत्रदेशेअयो-यानगरी २ चन्द्रच्छायः-अङ्गराजः द्वीतीयो-घरणि जीयः चन्द्रच्छायनामाऽङ्ग देशाधिपतिः यत्र चम्यानगरी ३ शइख काशिराज तृतीयोऽभिचन्द्रजीवः शङ्खनामा-काशिदेशाधिपतिः यत्र वाराणसी नगरी। ४ रुक्मी-कुणालाधिपतिः चतुर्थः पूरण जीवः -रुक्मीनामकः कुणालदेशाधिपति यन श्रावस्ती नगरी । ५ अढीनशत्रु:-कुमराजः, पञ्चमो वसु जीरोऽदीनशत्रुनामक' कुरुदेशाधिपति । यन (विसुद्धपिइमाइबसेसु ) विशुद्ध माता पिता के वश वाले राज कुलों मे (पत्तय २) पृथक २ (कुमारत्ता पच्चायायासी ) पुत्र रूप से उत्पन हुए । (तजहा) इनमें (पडियुद्धी इक्खागराया चदच्छाए अगराया सखे कासि रापा, रुप्पी कुणालाहिवह, अदीणसत्त कुरु रापा, जितमत्तू पचालाहिवई ) प्रथम जो अचल को जीर या वह कोशल देश का अधिपति हुआ, जिस में अयोध्या नगरी है-इसका नाम वहा प्रतियुद्ध हुआ। दूसरा जिसका नाम धरण या वह चन्द्र छाया नाम का अङ्ग देश का अधिपति हुआ। इस अग देश में चपा नगरी है। तीसरा जो अभि चन्द्र का जीव या वह काशी देश का राजा हुआ। वहा, इसका नाम शस हुआ। इम काशी देश मे बनारस नाम की नगरी है। चौथा जो पूरण का जीव गा घर कुणाल देश का अधिपति हुआ उसका वहा नाम रुक्मी या । इस कुणाल देश मे श्रावस्ती नगरी हे । पाचवा जो "विसुद्धपिइमाइव सु" विशुद्ध मातापिताना शासनामा (पत्तया) नुहा (कुमारत्ता पच्चायायासी) पुत्र ३पेम पाभ्या (त जहा) मा अधामा
(पडिवुद्ध इक्खागराया चदच्छाए अगराया ससे कासिराया रुप्पी कुणाला हिवड अदीणसन कुरुराया, जितसत्तू पचालाहिवई)
પહેલે અચલને જીવ કેરાલ દેરાને અધિપતિ થયે કેશલ દેશનું પાટ નગર અયોધ્યા નગરી હતુ અચલને જીવ ત્યાં પ્રતિબુદ્ધ નામે પકા
બીજે ધરણ અગ દેશને અધિપતિ થયે તેનુ નામ ચદ્રરાય હતા ત્રિીજા અભિચક્રનો જીવ કાળી દેશને રાજા થયો તે ત્યા શખ નામે પ્રસિદ્ધિ પામ્યો આ કાળી દેશમાં બનારસનામે નગરી છે ચોથા પૂરણને જીવ કુણાલ દેશને અધિપતિ થયે ત્યાં તેનું નામ કમી હતુ આ કુણાલદેશમાં