Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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शाताधर्मकथासूत्रे
अत्र याच्छदेन -' पच्चुग्गन्छसि' आढासि, परिजाणासि ' इति वाच्यम्, चन्दसे, इदानी सुदर्शन ! त्व मामेजमान दृष्ट्वा यावद् नो वन्दसे, अभ्युत्थानादिक करोपीत्यर्थः तत्कस्य खलु लया सुदर्शन । अयमेतद्रूपो नियमूलः प्रतिषेणः हे सुदर्शन ! मम धर्म परित्यज्य त्वया कस्य धर्मः स्वीकृत इत्यर्थः ।
ततः खलु स सुदर्शनः शुकेन परिव्राजकेनैत्रमुक्त. सन् आसनादभ्युत्ति प्रति, अभ्युत्थाय करतलपरिगृहीत- शिर आप मस्तकेऽञ्जलिं कृत्वा शुरु परिनाजकमेव वक्ष्यमाणप्रकारेणावादीत्-एव खलु देवानुप्रिया ? अर्हतोऽरिष्टनेमेः अन्तेवासी शिष्य. स्थापत्यापुत्रनामाऽनगार यावद् पूर्वानुपूर्व्याचरन् ग्रामानुग्राम
एजमाण पासित्ता जाव णो वदसि त कस्स ण तुमे सुदसणा इमेयारूवे विणयमूले धम्मे पडिवन्ने ) सुदर्शन | जब तुम किसी समय मुझे आता हुआ देखता था तो देखकर उठता था - यावत् वदना करता था। परन्तु अब इस समय सुदर्शन ! तुम मुझे आता हुआ देखकर यावत् उठे नही तुमने मेरी वदना नही की। तो हे सुदर्शन ' तुमने किसका यह इस रूप विनय मूलक धर्म स्वीकार कर लिया है । (तएण से सुदसणे सुकेण परिव्वायएण एव बुत्ते समाणे आसणाओ अभुट्ठे, अम्मुट्ठित्ता करयल० सुय परिव्वायग एव व्यासि ) इस प्रकार शुक परिब्राजक के द्वारा कहा गया वह सुदर्शन अपने स्थान से उठा और उठकर उसने दोनो हाथो को अजलि रूप में कर और उसे मस्तक पर रख उससे इस प्रकार कहो कि ( एव खलु देवाणुपिया । अरिहाओ अरिष्टनेमिस्स अतेवासी यावच्चा पुत्ते नाम अणगारे जाव इहमागए इह चैत्र नीला सोए उज्जाणे विरह ) हे देवानुप्रिय ! अहंत अरिष्टनेमि प्रभु के
सुदसणा । तुम मम एज्जमाण पाक्षित्ता जाव णो वदसि त कस्स ण तुमे सुदसणा इमेयारूवे विणयमूले धम्मे पडिवन्ने ) हे सुदर्शन / पडेला तु गभे त्यारे भने આવતા જોતા ત્યારે સ્વાગત માટે ઉભે થતા અને સામે આવીને વદન વિગેરે કરતા હતા પણ અત્યારે મને જોઈને તુ ઉભું થયે નથી તેમજ તે મને વદન પ કર્યો નથી. હું સુદર્શન ' તે આ કેવાપ્રકારના વિનમૂળક ધર્મ સ્વીકાર્યાં છે ? (aण से सुदसणे सुकेण परिव्वायए ण एव पुत्ते समाणे आसणाओ अन्मुठेइ अभुट्ठित्ता करयल • सुय परिव्वायग एन व्यासी ) शुद्ध परिप्रान्नानी वात सालजीने सुदर्शन પેાતાના સ્થાનેથી ઉભા થયા અને ઊભા થઈને અન્ને હાથની અ જલીને મસ્તકે भूडीने तेने उधु-(एव खलु देवाणुप्पिया । अरिहाओ अरिट्ठने मिस्स अतेवासी थावच्चा पुसे नाम अणगारे जाव इहमागए इहचैव नीलासोए उज्जाणे विहरइ ) हे देवानुप्रिय !