Book Title: Gita Dohan Va Tattvartha Dipika
Author(s): Krushnatmaj Maharaj
Publisher: Avdhut Shree Charangiri Smruti Trust

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Page 10
________________ श्रीगणेशाय नमः॥ निर्वाणषट्कम् स्तोत्रम् मनोबुद्ध्यहङ्कारचित्तानि नाहं न च श्रोत्रजिहे न च घाणनेत्रे । न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥१॥ न च प्राणवर्गो न पञ्चानिला मे न वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोशः न वाक्पाणिपादं न चोपस्थपायुश्चिदानन्द० ॥ २ ॥ न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः । न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षश्चिदानन्द० ॥३॥ न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं न मन्त्रो न तीथं न वेदो न यज्ञः। अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द० ॥४॥ न मे मृत्युशङ्का न मे जातिभेदः पिता नैव मे नैव माता न जन्म। न बन्धुर्न मित्रं गुस्नैव शिष्यश्चिदानन्द० ॥५॥ अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्रसन्द्रियाणि । सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धश्चिदानन्द० ॥ ६ ॥

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