Book Title: Digambaratva Aur Digambar Muni
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Sarvoday Tirth

View full book text
Previous | Next

Page 72
________________ [११] नन्द साम्राज्य में दिगम्बर मुनि "King Nanda had taken away 'image' known as "The Jaina of Kalinga...Carrying away idols of worship as a mark of trophy and also showing respect to the particular idol is known in later history. The datum (1) proves that Nanda was a Jaina and (2) thal Fainism was introduced in Orissa very early...." -K.P.Jayaswal1 शिशुनाग वंश में कुणिक अजातशत्रु के उपरान्त कोई पराक्रमी राजा नहीं हुआ और मगध साम्राज्य की बागडोर नन्द वंश के राजाओं के हाथ में आ गई। इस वंश में 'वर्द्धन'( Increaser) उपाधिधारी राजा नन्द विशेष प्रख्यात और प्रतापी था। उसने दक्षिण - पूर्व और पश्चिमीय समुद्रतटवर्ती देश जीत लिये थे तथा उत्तर में हिमालय प्रदेश और कश्मीर एवं अवन्ति और कलिंग देश को भी उसने अपने आधीन कर लिया था। कलिंग - विजय में वह वहां से 'कलिंगजिन' नामक एक प्राचीन मूर्ति ले आया था और उसे विनय के साथ उसने अपनी राजधानी पाटलीपुत्र में स्थापित किया था। उसके इस कार्य से नन्दवर्द्धन का जैन धर्मावलम्बी होना स्पष्ट है। 'मुद्राराक्षश नाटक' और जैन साहित्य से इस वंश के राजाओं का जैनी होना सिद्ध हैं। उनके मंत्री भी जैन थे। अन्तिम नन्द का मन्त्री राक्षस नामक नीति निपुण पुरुष था । मुद्राराक्षस नाटक में उससे जीवसिद्धि नामक क्षपणक अर्थात् दिगम्बर जैन मुनि के प्रति विनय प्रकट करते दर्शाया गया है तथा यह जीवसिद्धि सारे देश में - हाट-बाजार और अन्तःपुर-मत्र ही ठौर बेरोक-टोक विहार करता था. यह बात भी उक्त नाटक से स्पष्ट है। ऐसा होना है भी स्वाभाविक, क्योंकि जब नन्द वंश के राजा जैनी थे तो उनके साम्राज्य में दिगम्बर जैन मुनि की प्रतिष्ठा होना लाज़मी था। जनश्रुति से यह भी एक्ट है कि अन्तिम नन्द राजा ने 'पञ्चपहाड़ी' नामक पाँच स्तूप १. JBORS, VOL..X1V.p.245. २. Ibid, Vol. 78-79, Chanakya says "There is a fellow of my studies, deep The Brahman Indusarman, him 1 sent, When just [ vowed the death of Nanda, hithere; And here repairing as a Buddha 1/4 (ki.kd 1/2} mindicant." * Having the marks of a Kasapanaka....the Individual is a Jaina ..Raksasa repose in him implict confidence.-UIDW., p. 10. दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि (69)

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195