Book Title: Digambaratva Aur Digambar Muni
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Sarvoday Tirth

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Page 159
________________ श्री भूषण का भी इसी सपय पता चलता है।' सारांशतः यदि जैन साहित्य और पूर्ति लेखों का और भी परिशीलन और अध्ययन किया जाय तो अन्य अनेक मुनिगण का परिचय उस समय में मिलेगा। आगरा में सब दिगम्बर मुनि - कविवर बनारसीदास जी बादशाह शाहजहाँ के कृपापात्रों में से.थे। उनके सम्बन्ध में कहा जाता है कि एक बार जब कविवर आगरा में थे, तब वहाँ पर दो नग्न मुनियों का आगमन हुआ। पब हो लोग उनके दर्शन-वन्दन के लिये आते-जाते थे। कविवर परीक्षा प्रधानी थे। उन्होंने उन मनियों की परीक्षा की थी।' इस उल्लेख से उम सपय आगरा में दिगम्बर मुनियो का निर्वाध विहार हुआ प्रकट है। फ्रेंच यात्री, डा. बर्नियर और दिगम्बर साधु - विदेशी विद्वानों की साक्षी भी उक्त वक्तव्य की पायक है। बादशाह शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल में फ्रांस से एक यात्री डा. बर्निया (Dr. Bernier) नामक आया था। वह सारे भारत में घूमा था और उमका समागम दिगम्बर मुनियों से भी हुआ था। उनके विषय में वह लिखता है कि - "पझे अक्सर साधारणतः किसी राजा के राज्य में इन नंगे फकीरों के समूह मिले थे, जो देखने पे भयानक थे। उसी दशा में मैंने उन्हें मादरज़ात नंगा बड़े-बड़े शहरों में चलते-फिरते देखा था। पर्द, औग्न और लड़कियाँ उनकी ओर वैसे ही देखते थे जैसे कि कोई साध जब हमारे देदा की गलियों में होकर निकलता है, तब हम लोग देखते हैं। औरतें अक्सर उनके लिये बड़ी विनय से भिक्षा लाती थीं। उनका विश्वास था कि वे पवित्र पुरुष हैं और साधारण मनुष्यों से अधिक शीलवान और धर्मात्मा है।" टावरनियर आदि अन्य विदेशियों ने भी उन दिगम्बर पनियों को इसी रूप में देखा था। इस प्रकार इन उदाहरणों से यह म्पष्ट है कि मुसलमान बादशाहों ने भारत की इस प्राचीन प्रथा, कि साधु नगे रहें और नंगे ही सर्वत्र वियर कर, को सम्माननीय दुष्टि से देखा था। यहाँ तक कि कतिपय दिगम्बर जैनाचार्यों का उन्होंने खुब १. श्रीमूलसंधेय भारतीये गक्षे बत्नात्कारगणेतिरम्ये । आसीन्सुदेवेन्द्रयशोमुनीन्द्रः सधर्मधारी मुनि धर्मचन्द्र।" - श्री जिनसहस्रनाम. श्री काष्ठासंघे जिनराजसेनस्तदन्वये श्री मुनि विश्विसेना विद्याविभूषः मुनिराद् बभूव श्री भूषणो वादिगजेन्द्र सिंहः।। - पचकल्याणकपठ. २. बबि., चरित्र, पृ. ९७-१०२। 3. "I huve often naci generally in the territory of sumu Raja lands of these naked fakirs hideous to buhald. In this trim I have seen tocm shunckessly walk stark naked, through a large lown men women and girls Juoking at them without any more emotion than may be created when a hermil passes through our strects. Funtatcs wusuld often hring them alms will much develion, doubtless helieving that they were holy persunuges, more chastc and discreci than other mon. Bernicr-p.317 (15) दिगम्वरत्व और दिगम्बर मुनि

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