Book Title: Digambaratva Aur Digambar Muni
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Sarvoday Tirth

View full book text
Previous | Next

Page 193
________________ १३० ६२ शकटाल श्रवणबेलगोल ६०, ७२, १०२, शतानीक ११२, १३६ शम्भू श्रावक ४०,८२, १६१ शान्तरट्टराज १३० श्रावस्ती ६७,८३,८५,८७, ९० शान्तलदेवी १११, १३८ श्रीचन्द्र शान्तिकीर्ति श्रीधराचार्य शान्ति देव श्रीपाल गुरु शान्तिनाथ १३४ श्रीभूषण शान्तिराजा श्रीमद्भागवत २०, २३ शान्ति वर्मा १२८ श्रीमूलभधारक १२९ शान्तिसागर १५९, १६०, १६१ श्री वरदेव आदि राजा शान्तिसेन ९१, १३२ श्री वर्द्धदेव १३९ शालिभद्र श्री विजयशिवमृगेश वर्मा शाहजहाँ ३५, १५६ श्री शिखर जी १६०, १६१ शिव ५९, १२०, १२१ श्रुतकीर्ति १५५ शिवकोटि ११६, १३९ श्रुतमुनि शिवनन्दि श्रुतसागर १६१ शिवपालित श्रेणिक विम्बसार ६०,६२ शिवमित्र राजा श्रेयाँससेन १५० शिवव्रतलाल वर्मन शेरशाह शिवस्कन्द वर्मा श्वेतकेतु २५, २८ शिशुनाग वंश श्वेताम्बर ४८, ५०, ५१, ९३ शुक्राचार्य शेषागिरि राव १०५, ११८, १४२ शुक्ल ध्यान २२,५७ १६८ शुभकीर्ति १३८ सकलकीर्ति शुभचन्द्र ९६, १२९. १३०, सकलचन्द्र १३४, १३५, १३८ स्कन्दगुप्त ८५ शुभदेव स्कंधपुराण ३०. ५९ शूद्रम्चेट्टी १६३ स्टीवेन्सन ६३, १६८ शंकरसिंह १६३ सत्य लोक श्रमण ४८,५३,५६, ५८.६४, ११९, | स्तूप ७०,७१,७८, १२१, १२५, १४५, १४६, १५३ । ८८,१२५, १२७,१३६, १५४ (190) १२७ १२७ १२७

Loading...

Page Navigation
1 ... 191 192 193 194 195