Book Title: Digambaratva Aur Digambar Muni
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Sarvoday Tirth

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Page 77
________________ inused themselves to hardships and were held in highest honour; that when invited they did not go to other 70 person. -Mc Crindle, Ancient India, P. जिस समय अन्तिम नन्दराजा भारत में राज्य कर रहे थे और चन्द्रगुप्त मौर्य अपने साम्राज्य की नींव डालने में लगे हुये थे, उस समय भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त पर यूनान का प्रतापी वीर सिकन्दर अपना सिक्का जमा रहा था। जब वह तक्षशिला पहुंचा तो वहाँ उसने दिगम्बर मुनियों की बहुत प्रंशसा सुनी। उसने चाहा कि वे साधुगण उसके सम्मुख लाये जायें, किन्तु ऐसा होना असंभव था, क्योंकि दिगम्बर मुनि किसी का शासन नहीं मानते और न किसी का निमंत्रण स्वीकार करते हैं। उस पर सिकन्दर ने अपने एक दूत को, जिसका नाम अन्शकृतस (Oneskritos) था, उनके पास भेजा। उसने देखा, तक्षशिला के पास उद्यान में बहुत से नंगे मुनि तपस्या कर रहे है। उनमें से एक कल्याण नामक मुनि से उसको बातचीत होती रही थी। मुनि कल्याण ने अशकृतस से कहा था कि यदि तुम हमारे तप का रहस्य समझना चाहते हो तो हमारी तरह दिगम्बर मुनि हो जाओ। 'अंशकृतस के लिये ऐसा करना असंभव था। आखिर उसने सिकन्दर से इन ज्ञान और चर्या की प्रशंसनीय बातें कहीं। सिकन्दर उनसे बहुत प्रभावित हुआ और उसने चाहा कि इन ज्ञान-ध्यान तपोरक्त का प्रकाश मेरे देश में भी पहुंचे। उसकी इस शुभ कामना को मुनि कल्याण ने पूरा किया था। जब सिकन्दर ससैन्य यूनान को लौटा तो मुनि कल्याण उसके साथ हो लिये थे, किन्तु ईरान में ही उनका देहावसान हो गया थ|| अपना अन्त समय जानकर उन्होंने जैन व्रत सल्लेखना का पालन किया था। नंगे रहना, भूमि शोधकर चलना, हरितकाय का विराधन न करना, किसी का निमंत्रण स्वीकार न करना इत्यादि जिन नियमों का पालन मुनि कल्याण और उनके साथी पुनिगण करते थे उनसे उनका दिगम्बर जैन मुनि होना सिद्ध है। आधुनिक विद्वान भी यही प्रकट करते है। * २ १. Al..p.69."(Alexander) despatched Onesikritos to them (gymnosophists), who relates that he found at the distance of 20 stadia from the city (of Taxilla) 15 men standing in different postures, sitting or lying down naked, who did not move from these positions till the evening, when they return to the city. The most difficult thing to cadure was the heat of the sun. etc. "Calanus bidding him (Onesi:) to strip himself, if he desired to hear of his doctrine. -Plutarch, A.I., p.71. any २. बीर, वर्ष ७, पृ. १७६ व ३४१ । ३. Encyclopadia Britannica ( 11th ed.) Vol. XV.p. 128.....the term Digambara is referred to in the well-known Greeck phrase. Gymnosophists, used already by Megasthenes, which applics very aptly to the Nirgranthas (Digambara Jainas). (74) दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि

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