Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ अजैन विद्यार्थिओंको रु. ६००)की मासिकवृत्ति। दानवीर सेठ हुकमचन्दजीकी दानवीरता । विदित हो कि इस साल कलकत्ता संस्कृत यूनिवर्सिटीके पठनक्रममें सन् १ .. परीक्षाके लिये दिगम्बर जैनाचार्यकृत न्याय व्याकरणके नीचे लिखे ग्रंथ भरती हो गये इन ग्रंथों में परीक्षा देकर उत्तीर्ण होनेवाले अजैन विद्यार्थियोंको नीचे लिखे नियमानुसार म : वृत्ति इन्दौर निवासी श्रीयुत् दानवीर सेठ हुकुमचंदजीकी तरफसे डाक्टर सतीशचंद्र विद्याभषण एम० ए० पीएच. डी. की मारफत दी जायगी। इसके सिवाय जो विद्यार्थी : लिखी परीक्षायें देना चाहेंगे उनके फारम सहित प्रार्थनापत्र हमारे पास आनेपर अजैन ग्र छोडकर समस्त जैनग्रन्थ डांक खर्चका व्यय मात्र वी. पी. में लगाकर तत्काल ही बिना " भेज दिये जायगे । जिनको अगली साल परीक्षा देना हो, तत्काल ही फारम हमारे पाससे हैं। भरकर भेज दें क्योंकि परीक्षाका समय बहुत थोड़ा रह गया है । ता. १८ फर्वरी सन् १ : से परीक्षा प्रारंभ होगी। परीक्षा देवरिया, पटना या कलकत्ता जहां जी चाहें दे सकते। . परीक्षाके ग्रंथ । १। व्याकरण प्रथमा परीक्षा। मासिकवृत्ति १ वर्ष पर्यत ।' प्रथमपत्र जैनेंद्र प्रक्रिया पूर्वार्द्ध । प्रथम छात्रको ४) रुपये। अथवा-शाकटायन प्रक्रिया पूर्वार्द्ध । द्वितीय छात्रको १) रुपये। द्वितीयपत्र-हितोपदेश मित्रलाभ । २। न्याकरण मध्यमा परीक्षा। प्रथमपत्र-शब्दार्णवचंद्रिका (जैनेंद्रलघुवृत्ति) | अथवा-चिंतामाण (शाकटायनलघुवृत्ति)! प्रथम छात्रको ५) रुपये । द्वितीयपत्र-पिंगलसूत्र-भट्टिकाव्य नवमसर्ग । द्वितीय छात्रको ३) रुपये । पर्यंत। तथा अनुवाद मातृभाषासे संस्कृतमें और संस्कृत भाषासे मातृभाषामें । ३। न्याय प्रथमा परीक्षा। प्रथमपत्र-जैनन्यायदीपिका,परीक्षामुखसूत्रार्थ) प्रथम छात्रको ४) रुपये। . द्वितीयपत्र-अनुवाद पाद्यविषयिणी रचना।। द्वितीय छात्रको २) रुपये। ४। न्याय मध्यमा। प्रथमपत्र-आसपरीक्षा सटीक (विद्यानंदिकृत) प्रथम छात्राको ६) रुपये। तथा-प्रमेयरत्नमाला । (अनंतवीर्यकृत) । द्वितीय छात्रको ३) रुपये। द्वितीयपत्र-अनुवाद रचना उक्त प्रकारसे५ । व्याकरणतीर्थमें-प्रथमोत्तीर्ण विद्यार्थीको १००) न्यायतीर्थमें १५०) रु. एकमुष्टि जायगे। नोट-तीर्थ परीक्षा मध्यमाके बिना नहीं होती इसलिये इसके ग्रन्थ नहीं लिखे । निवेदक- पन्नालाल जैन, सेक्रेटरी, भारतीयजैनसिद्धांतप्रकाशिनीसंस्था, बनारस

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 170