Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 9
________________ ८ ख. 9 सचित्र खास अंक. Ek [ वर्ष ८ कयांकि दिनोंदिन हिन्दी ग्राहकोंकी संख्या बहत जरुर छे, जो बनी शके तो सिद्धक्षेत्र भी बढ़ती जाती है और सारे हिन्दुस्थान भरमें कुंथलगीरी उपर कोन्फरंस थवानी खास अग"दिगंबर जैन" का प्रचार होता जाता है, जि- त्यता छे, जे तरफ दक्षिणना भाईओ- अमो ससे देशकी सर्व सामान्य हिन्दी भाषा और खास लक्ष खेंचीए छीए. देवनागरी लिपिको प्राधान्यपद देना हमारा कर्तव्य है । गत् वर्षकी भांति इस वर्षके अमारा स्नेही संबंधीओ तथा वांचको तरग्राहकोंको भी रु. १) का यह खास अंकके फथी नवीन वर्षनी अतिरिक्त हिन्दी-गुजराती भाषाकी रु.२)-३) के खुशालीना अनेक मूल्यकी ८-१० पुस्तकें उपहारमें मिलेगी, जो । पत्रो आ मासमा तय्यार होनेपर क्रमशः भेज दी जाँयगी । अमारा उपर आवेला हता, पण गत् वर्षे अमारा कुटुंबमांथी माता, व्हेन वगेरे ४ आद मीओनो वियोग थई जवानी गमगीनीने आपणी मुंबाई दि. जैन पा. कोन्फरसनी लीधे आ वखते अमो खूशालीना का? लखी बेठक पालीताणा उपर थई गयाने एक वर्ष शक्या नहोता, जेथी आ स्थळे अमारा तरफ आवती कोन्फरस. थवा आव्युं छे, प्रेमाळ दृष्टि दर्शावनाराते सर्वे स्नेही संबंधीओनो " पण हवे आ वर्षे आभार मानीए छीए. कये स्थळे कोन्फरन्स भराशे ते कई हजु नक्की थयुं नथी. सांभळवा मुजब आ मासमा दहीगांवमां मेळा प्रसंगे कोन्फरंस भरवान आमंत्रण त्यागीजांनो केशलोचः–श्रीमन् ग्यागी आवेलुं हतु, पण समय घणोज निकट होवाथी ते नाईलाजे स्वीकारी शकायु नहोतुं. आ निर्विघ्ने पूर्ण करी कार्तक सुद १३ नी कोन्फरंसना प्रमुख दानवीर शेठ माणेकचंदजी प्रभाते कंईपण उत्सव वगर एकान्तमा ना वियोगथी कोन्फरंसने महाभारत आफत केशलोच कयौँ हतो. अत्रेना लोकोनो भाव आवी पडी छे, पण तेथी निराश न थतां आ समये उत्सव करवानो न होवाथीज जे रस्तो शेठ माणेकचंदजी बतावी गएला छे ते आम ओचीतो केशलोच थयो हतो. रस्ते नियमीत रीते चालवानी आपणी फरज छे, "जैन तत्व प्रकाशक" का प्रादुर्भावःअने तेमां आळस करवानी जरुर नथी, माटे आ वर्षे कोन्फरंस ऑफिसे खटपट करी इस नामका मासिक पत्र जो प्रकद होना कोईपण तीर्थ उपर के पछी कोई पण शहेरमां बंद हुआ था वह जैनतत्वप्रकाशीनि सभाकोन्फरंस भरवानी कोशीष ताकीदे करवानी इटावासे चंद्रसेन जैन वैद्यद्वारा प्रकट होना जरुर छे. आ वर्ष खाली तो नज जवू शुरु होकर प्रथम अंक प्राप्त हुआ है, जोईए, केमके नवा प्रमुख नीमवाना तथा जिसकी समालोचना आगामी अंकों की बीजां अनेक उपयोगी कार्यो ताकीदे थबानी जायगी। वार्षिक मूल्य रु. १) है।

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